तालिबान ने भारत और चीन को दिया बड़ा आश्वासन
काबुल: तालिबान ने एक बार फिर से साफ किया है कि वो अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी देश पर आतंकी हमले के लिए नहीं होने देंगे। काबुल पर कब्जे के बाद अपनी पहली आधिकारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तालिबान ने इस्लामी कानून की “सीमा के भीतर” महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने की कसम खाई है। काबुल में राष्ट्रपति भवन के अंदर से संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि, महिलाओं के अधिकारों की रक्षा “इस्लामी कानून की सीमाओं के भीतर” की जाएगी और अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल हरगिज किसी देश के खिलाफ नहीं होने दिया जाएगा। माना जा रहा है कि तालिबान का ये बयान भारत और चीन के संदर्भ में है, जिन्हें डर है कि तालिबान राज में कट्टरपंथी दोनों देशों में आतंकी हमलों को अंजाम दे सकते हैं।
तालिबान ने दिलाया भरोसा अल जज़ीरा ने मुजाहिद के हवाले से लिखा है कि, “तालिबान के शासन काल में महिलाएं समाज में बहुत सक्रिय होने जा रही हैं, लेकिन इस्लामिक रिवाज के अंदर रहते हुए”। तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि वे अन्य देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंधों की कामना करते हैं, वे किसी भी “आंतरिक या बाहरी दुश्मन” बनाना नहीं चाहते हैं। तालिबान की तरफ से कहा गया है कि ”हम अपने पड़ोसी देशों को आश्वस्त करना चाहते हैं, कि उनके खिलाफ हमारी जमीन का गलत इस्तेमाल नहीं होने दिया जाएगा और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी हमें मान्यता देनी चाहिए”। इसके साथ ही तालिबान ने अशरफ गनी के शासन को ‘बेकार’ बताते हुए कहा कि ”तालिबान की योजना अफगानिस्तान के बाकी इलाकों पर कब्जा करने के बाद राजधानी काबुल के अंदर नहीं, बल्कि बाहर ही रूकने की थी।”
दुनिया से मान्यता देने की मांग तालिबान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि “हम काबुल में अंतरराष्ट्रीय दूतावासों और संगठनों की सुरक्षा का आश्वासन देना चाहते हैं। हमारी योजना बाकी अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद काबुल के दरवाजे पर रुकने की थी, लेकिन दुर्भाग्य से पिछली सरकार ‘बेकार’ थी। अशरफ गनी लोगों को सुरक्षा प्रदान करने में फेल रही है”। तालिबानी प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि ”हम सभी विदेशी संगठनों के साथ हैं और विदेशी संगठनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेते हैं, और हम अफगानिस्तान के अंदर या बाहर किसी दुश्मन की तलाश नहीं कर रहे हैं।”
1990 के तालिबान से अलग इसके साथ ही तालिबानी प्रवक्ता ने 1990 के तालिबान और मौजूदा तालिबान के बीच का अंतर भी बताया है। तालिबान ने कहा है कि ”विचारधारा और विश्वास समान हैं क्योंकि तालिबान एक मुस्लिम संगठन है”। इसके साथ ही तालिबानी प्रवक्ता ने कहा कि ”अनुभव के हिसाब से फर्क आया है और अब का तालिबान ज्यादा अनुभवी और नये तालिबान का दृष्टिकोण अलग है”। इसके साथ ही तालिबान के प्रवक्ता ने महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने का वादा किया है, लेकिन शर्त रखा गया है कि इस्लामी कानून के तहत ही महिलाओं को रहना होगा। तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि उनके मुजाहिक किसी से बदले लेने की कोशिश नहीं करेंगे।