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तालिबान राज के इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान में लड़कियां कर सकेंगी पढ़ाई

लगभग दो दशकों बाद तालिबान (Taliban) का अफगानिस्तान पर फिर से कब्जा हो चुका है. खून-खराबा नहीं हो का तर्क देकर अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) देश छोड़कर ताजिकिस्तान चले गए हैं. आम अफगानियों में दहशत का माहौल है. बड़ी संख्या में लोग अफगानिस्तान छोड़कर जा रहे हैं. लोगों को डर है कि तालिबान राज में शरिया (Sharia) या इस्लामी कानून फिर से कड़ाई से लागू होगा. इसके तहत अफगानी लड़कियों को पढ़ने महिलाओं के काम करने पर पाबंदी रहेगी. हालांकि तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने मीडिया रिपोर्ट में कहा है कि शरिया कानून का सख्ती से पालन करते हुए हिजाब पहनने के बाद लड़कियां पढ़ाई कर सकेंगी. इस बीच यह भी खबर आ रही है कि अफगानिस्तान का नया नाम इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान होगा.

आम लोगों में अफगानी सुरक्षा बलों के खिलाफ गुस्से की लहर है. कई स्थानों पर अफगान सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकने की भी खबरें आई हैं. आश्चर्य इस बात का है कि अफगान सुरक्षा बलों को प्रशिक्षित करने में अमेरिका नाटो ने अरबों डॉलर खर्च किए. इसके बावजूद तालिबान ने आश्चर्यजनक रूप से सप्ताह भर में ही पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. रविवार को तो तालिबान के लड़ाके चारों तरफ से काबुल में घुसे राष्ट्रपति भवन समेत पुलिस आउटपोस्ट अन्य महत्वपूर्ण इमारतों पर कब्जा कर लिया. कहीं पर भी अफगान सुरक्षा बलों ने तालिबान के लड़ाकों से कोई संघर्ष नहीं किया. इसके पहले अमेरिकी सेना की वापसी के बीच माना जा रहा था कि काबुल पर कब्जा करने में तालिबान को कम से कम महीने भर का समय लग जाएगा.

यह अलग बात है कि रविवार को शाम तक तालिबान ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर पूरे देश में कब्जा कर तालिबान राज की घोषणा कर दी. माना जा रहा है कि तालिबान देश को फिर से ‘इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान’ का नाम देगा. इस बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने सोमवार का अफगानिस्तान पर चर्चा करने के लिए बैठक बुलाई है. बताया जा रहा है कि एस्टोनिया नॉर्वे के अनुरोध पर यह आपात बैठक बुलाई है. इसके पहले अमेरिका, जर्मनी समेत ब्रिटेन भारत ने अपने-अपने नागरिकों कर्मचारियों को अफगानिस्तान से बाहर निकालने का अभियान तेज कर दिया है.

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