देहरादून : मेंढकों के वंश में एक नई प्रजाति का नाम जुड़ गया है। यह नया सदस्य फेजेरवेरया वंश में जुड़ा है और इसकी पहचान भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआइ) ने उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के झिलमिल झील कंजर्वेशन रिजर्व से की है। इसी आधार पर इसका नाम ‘फेजेरवेरया झिलमिलेंसिस’ रखा गया है। अब विश्वभर में फेजेरवेरया वंश की इस प्रजाति को इसी नाम से जाना जाएगा। जेडएसआइ के देहरादून स्थित उत्तरी केंद्र की कार्यालय प्रमुख डॉ. अर्चना बहुगुणा के मुताबिक फेजेरवेरया वंश के मेंढकों की विश्वभर में अब तक 38 प्रजातियां पाई जाती थीं, यह संख्या अब बढ़कर 39 हो गई है। इसी तरह देश में इस वंश के मेंढकों की प्रजातियों की संख्या 18 से बढ़कर 19 हो गई है। देखने में यह मेंढक लगभग एक समान लगते हैं और जब ऐसा लगा कि झिलमिल झील में पाए गए यह मेंढक अलग प्रजाति के हो सकते हैं तो इनकी मार्फोलॉजिकल (रूपात्मक) स्टडी कराई गई। इससे स्पष्ट हो सका कि यह मेंढक दुनिया के लिए बिलकुल नया है। नए मेंढक की खोज को और स्पष्ट बनाने के लिए मॉल्युकूलर (आणविक) स्टडी की तैयारी भी जा रही है। इस नई खोज को प्रसिद्ध जर्नल बायो-सिस्टेमेटिक ने भी प्रकाशित किया है। जेडएसआइ की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अर्चना बहुगुणा के मुताबिक मेंढक की इस नई प्रजाति की लंबाई 37 से 40 मिलीमीटर के बीच है। झिलमिलेंसिस की पीठ पर काली धारी है और पैरों पर फूल की आकृति के निशान मिले हैं। वहीं, इनकी चमड़ी का अधिकांश हिस्सा हल्का पीला है। मेंढक की नई प्रजाति का प्राकृतिक वासस्थल नमी वाले इलाकों में है। यह पानी में नहीं पाए जाते हैं और तालाब आदि के किनारों व पत्थरों के नीचे रहते हैं। हालांकि यह अंडे पानी में ही देते हैं। इसके अलावा धान के खेतों में भी इनका वासस्थल पाया गया है। ऐसे खेतों में कीड़े-मकोड़ों को खाकर यह फसल को नुकसान से भी बचाने का काम करते हैं। फेजेरवेरया वंश के मेंढक भारत में मुख्य रूप से उत्तराखंड, सिक्किम और देश से बाहर नेपाल आदि के कुछ क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं।
जेडएसआइ ने कश्मीर में तितली के यापथिमा वंश की एक नई प्रजाति की खोज की है। इसका नाम कश्मीर के नाम पर यापथिमा कश्मीरेंसिस रखा गया है। इस वंश की विश्व में 100 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनकी संख्या अब 101 हो गई है। नई प्रजाति की खोज करने वाले वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र शर्मा के मुताबिक कश्मीरेंसिस की लंबाई (विंग्स स्पान) 15 से 17.5 मिलीमीटर के बीच है। देखने में यह अन्य तितलियों की तरह ही नजर आती है, मगर इसके उडऩे की क्षमता काफी धीमी है।