तिब्बत: राष्ट्रपति ने पूछा, भारत के अच्छे दिन आ गए, तिब्बत के कब आएंगे ?
तिब्बत की निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति लोबसंग सांगे ने उम्मीद व्यक्त की कि भारत तिब्बत को उसका हक वापस दिलाने में उनकी मदद करेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने से भारत के अच्छे दिन वापस आ गए हैं। पूरी दुनिया में भारत की ताकत बढ़ी है, लेकिन अब उन्हें तिब्बत के ‘अच्छे दिन’ लाने के लिए भी प्रयास करना चाहिए। लोबसंग सांगे का यह बयान ऐसे समय में आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के टेक्सास शहर में ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ एक मेगा शो को संबोधित करने वाले हैं।
‘भारत तिब्बत का गुरु और तिब्बत भारत का अच्छा शिष्य’
रविवार को भारत-तिब्बत सहयोग मंच के एक कार्यक्रम में बोलते हुए लोबसंग सांगे ने कहा कि भारत तिब्बत का गुरु रहा है, और तिब्बत भारत का अच्छा शिष्य रहा है। बौद्ध धर्म देने से लेकर तिब्बतियों की शिक्षा और पालन-पोषण तक का भार भारत ने उठाया है। लेकिन अब समय आ गया है कि भारत को तिब्बत के अच्छे दिन लाने का भी प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल सहित भारत के अनेक नेताओं का यह मानना था कि अगर चीन तिब्बत पर कब्जा कर लेता है तो इससे भारत की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। इससे भारत की सुरक्षा चिंताएं और सुरक्षा पर होने वाला खर्च भी बढ़ जाएगा।
‘तिब्बत मुद्दे पर भारत की भूमिका समय के साथ तय होगी’
भारत और चीन के संबंध दोकलम जैसे तनावपूर्ण मामलों के बाद भी लगातार मजबूत हो रहे हैं। ऐसे में क्या भारत तिब्बत के मुद्दे पर तिब्बती समुदाय के साथ खड़ा होगा और उनकी मांग का समर्थन करेगा? इस सवाल पर भारत-तिब्बत सहयोग मंच के प्रमुख नेता इंद्रेश कुमार ने कहा कि चीन के अंदर की परिस्थितियां तेजी से बदल रही हैं। आज हांगकांग जैसे क्षेत्र भी अपनी आजादी की मांग करने लगे हैं, इसलिए चीन को यह समझना चाहिए कि केवल दबाव डालकर वह लंबे समय तक किसी को अपने साथ नहीं रख सकता। उन्होंने कहा कि तिब्बत के मसले पर भारत की भूमिका समय के साथ तय होगी।
‘भारत हर देश के साथ प्रेमपूर्ण संबंध रखने का इच्छुक’
इस सवाल पर कि क्या भगवा दल आज भी चीन निर्मित सामानों का विरोध करने की अपनी पुरानी रणनीति पर कायम हैं? इस सवाल पर इंद्रेश कुमार ने कहा कि भारत अमेरिका हो या चीन, सबके साथ प्रेमपूर्ण संबंध रखने के साथ आगे बढ़ने का इच्छुक है। यही कारण है कि दोनों देशों के बीच डोकलाम जैसे मुद्दे कभी अवरोध नहीं पैदा कर पाते हैं। लेकिन वे यह जरूर चाहते हैं कि रोज की इस्तेमाल होने वाली चीजें स्थानीय लोगों के द्वारा बनाई और उपभोग की जाएं क्योंकि इन वस्तुओं के बाहर से आयात होने पर भारत जैसे देशों में बेकारी बढ़ती है जो दोनों देशों के बीच वैमनस्य का कारण बनती है। इंद्रेश कुमार ने कहा कि चीन को बड़ी चीजों के निर्माण में आगे बढ़ना चाहिए और छोटी चीजों को स्थानीय बाजार के ऊपर छोड़ देना चाहिए।