तीन तलाक के मुद्दे पर शिया संगठन हस्तक्षेप ना करें : मजलिसे उलेमाये हिन्द
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लखनऊ (एजेंसी)। मजलिसे उलेमाये हिन्द से जुड़े मौलानाओं की साफ राय है कि तीन तलाक के मुद्दे पर षिया मुसलमानों के संगठन अकारण हस्तक्षेप न करें। उलेमाओं का कहना था कि बेवजह हस्तक्षेप से माहौल खराब होगा। वहीं उलेमाओं ने गौ रक्षा के नाम पर गुण्डा गर्दी रोकने तथा बाबरी मस्जिद विवाद को बातचीत से अथवा सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से हल निकलने की वकालत की।
शियों की समस्याओं और मौलिक अधिकारों की मांग के लिए, सरकारी व गैर सरकारी संगठनों के मुसलमानों के धार्मिक मुद्दों में बेजा दखल दिये जाने, गौ रक्षा के नाम पर तथाकथित संगठनों की गुडांगर्दी और बाबरी मस्जिद मामले के हल के लिए सोमवार को राजधानी के इमामबाडा गुफ्रॉनमआब में मजलिसे उलेमाये हिन्द की कार्यकारिणी की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुयी। बैठक में महाराष्ट्र, गुजरात, बंगाल, दिल्ली, उत्तार प्रदेश, तमिलनाडु ,कशमीर, कारगिल और अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कार्यकारिणी के सदस्यों ने कहा कि हमेशा प्रदेश की सरकारों ने शियों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित रखा गया। शिया अल्पसंख्यक दर अल्पसंख्यक होने के आधार पर हर मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहे। अल्पसंख्यकों के नाम पर दी जाने वाली आवश्यक सुविधाएं भी शियों के पिछड़े क्षेत्रों तक नहीं पहुंच पाती है। साथ ही शियों के विकास व कल्याण के लिए वक्फ की गई संपत्तायों पर भी दूसरों के कब्जे हैं या अभी तक वक्फ बोर्ड इन संपत्तायों के साथ खुर्द बुर्द करता आया है इसलिए शिया समुदाय सामाजिक, और शैक्षणिक रूप से हाशिए पर है, जरूरी है कि शियों के मुद्दों और सही स्थितिं के अनुमान के लिए सरकार आयोग गठित करे ताकि आयोग की रिपोर्ट की रोशनी में शिया समुदाय के विकास और कल्याण के लिए काम हो सके। उलेमा ने कहा कि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में भी शिया मसलक की समस्याओं को अनदेखा किया गया है। उलेमा ने कहा कि हमारी पुरानी मांग है कि सरकारों द्वारा जो भी पैकेज मुसलमानों को दिया जाता है उसमें शिया मसलक को 20 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए ताकि शियें के हालात सुघर सकें।
मजलिसे उलेमाये हिन्द के सदस्यों ने कहा कि तीन तलाक का मसला कुछ मुस्लिम मसलकों का मसला है इसलिए इसमें किसी भी दूसरे संगठन या बोर्ड को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। उलेमा ने कहा कि शिया संगठन इन समस्याओं में अकारण हस्तक्षेप करके हालात खराब ना करें। उलेमा ने कहा कि अपने राजनीतिक हित प्राप्त करने के लिए किसी दूसरे संप्रदाय या घर्म के धार्मिक मुद्दों में हस्तक्षेप करना माहौल खराब करने की कोशिश है। उलेमा ने स्पष्ट तौर पर कहा कि कुरान और सुन्नत की रौशनी में फिकहे जाफरी में तलाक का मसला हल शुदा है इसलिये तीन तलाक के मसले में हमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। उलेमा ने इस्लामी एकता का सबूत देते हुए कहा कि मुसलमानों के जितने भी मुशतरक मसाएल है उनमें हम सभी मुसलमानों के साथ हैं। उलेमा ने कहा के वक्फ की बडे स्तर मर जॉच हो ताकि वक्क जायदादों की हिफाजत हो सके।
गाय रक्षा के नाम पर तथाकथित संगठनों की गुडांगर्दी की निंदा करते हुए उलेमा ने कहा कि केंद्र सरकार ऐसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाये जो गाय रक्षा के नाम पर इंसानों का अंधाधुंध खून बहा रहे है और गुडांगर्दी को बढ़ावा दे रहे हैं। उलेमा ने कहा कि इस्लाम किसी भी धर्म के पवित्र चीजों और मुकद्देसात के अपमान की अनुमति नहीं देता। वहीं उलेमाओं ने बाबरी मस्जिद मामले के निपटारे पर बात करते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद मुद्दे का हल अगर बातचीत के जरिए हो तो अच्छा है। यदि बातचीत के जरिए समस्या का निपटारा संभव नहीं है तो अंतिम रास्ता सुप्रीम कोर्ट है। सभी मुसलमान सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करेंगे।
मजलिसे उलेमाये हिन्द के सदस्यों ने कहा कि वक्फ की रक्षा और शियों के बुनियादी मसाएल के समाधान के लिए वह प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, अल्पसंख्यक आयाग और अल्पसंख्यक मंत्री, विभिन्न रियासतों के मुख्यमंत्रियें को पत्र लिखा जायेगा ताकि शियों का पिछड़ेपन दूर हो सके। जलसे में संगठन के अध्यक्ष मौलाना हुसैन मेहदी हुसैनी, महासचिव मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी, उपाध्यक्ष मौलाना मोहसिन तकवी, मौलाना नईम अब्बास, मौलाना मौ. रजा गरवी, मौलाना गुलाम मुहम्मद मेहदी खान, मौलाना मीर अजहर अली, मौलाना करामत हुसैन जाफरी, मौलाना आगा सैयद हसन मूसवी, मौलाना सैयद मौ. हुसैन लुत्फी, मौलाना सफदर हुसैन, मौलाना अतहर अब्बास, मौलाना जलाल हैदर, मौलाना अबिद अब्बास, मौलाना रजा हुसैन, मौलाना तसनीम मेहदी, मौलाना मूसी रजा, मौलाना एहतेशामुल हसन, मौलाना निसार अहमद जेन पूरी, मौलाना तकी हैदर और अन्य उलेमा में मौलाना फीरोज हुसैन, मौलाना वसी अबदी, मौलाना शबाहत हुसैन ने भी शिरकत की।मजिलसे उलेमा की कार्यकारिणी बैठक के बाद जल्द ही मजलिसे उलेमाये हिन्द की बैठकें हर राज्य में आयोजित होगी और नई समितियां गठित की जाएंगी ताकि तेजी से परियोजनाओं पर काम हो सके।