राज्यसभा में तीन तलाक बिल के लटक जाने पर केंद्र सरकार ने कांग्रेस और विपक्ष पर तीखा हमला बोला है। केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने कहा कि तीन तलाक के खिलाफ चलाए गई मुहिम का क्रेडिट भारतीय जनता पार्टी को न मिले इसलिए कांग्रेस ने राज्यसभामें बिल को पास नहीं होने दिया। कांग्रेस नहीं चाहती की मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिले।
इतना ही नहीं हमारे कम्युनिस्ट दोस्त अक्सर महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ते हैं, लेकिन उन्होंने भी न्याय की लड़ाई में साथ नहीं दिया।
दरअसल, यूपी के गोंडा में रविवार को एक पति ने अपनी पत्नी को फोन पर भी तीन तलाक दे दिया। महिला की गलती ये थी कि उसने दिव्यांग बच्चे के इलाज के लिए अपने पति से पैसों की मांग की थी, लेकिन उसने ये शर्मनाक हरकत की है।
इन 3 वजहों से राज्यसभा में फंसा रह गया तीन तलाक बिल, बजट सत्र पर टिकी आस
मोदी सरकार का महत्वाकांक्षी तीन तलाक विरोधी बिल आखिरकार राज्यसभा में अटक ही गया, इससे पहले की यह बिल पास होता लगातार जारी गतिरोध के बीच राज्यसभा अनश्चितकालीन समय तक के लिए स्थगित कर दी गई। साफ है अब बजट सत्र से पहले इस बिल पर कोई कदम बढ़ा पाना सरकार के लिए संभव नहीं होगा।
हालांकि सरकार को पहले से ही इस बात का अंदेशा था कि राज्यसभा में कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल इस बिल को इतनी आसानी से पास नहीं होने देंगे। इसलिए उसने शुरूआती दो दिन राज्यसभा में बिल के लिए पूरा जोर लगाने के बाद अंत में अपनी रणनीति बदलते हुए विपक्ष को इस मुद्दे पर घेरना शुरू कर दिया।
भाजपा का पूरा जोर इस बात पर रहा कि बिल के बहाने विपक्ष खासकर कांग्रेस को महिला विरोधी साबित किया जा सके, यही कारण रहा कि सरकार के तमाम बड़े मंत्री रविशंकर प्रसाद, अरुण जेटली और स्मृति ईरानी कांग्रेस पर महिला विरोधी होने का कटाक्ष करते दिखे। बिल अब पास नहीं हुआ है तो यह जानना भी जरूरी है कि ऐसे क्या बड़े कारण रहे कि लोकसभा से एक झटके में पास होने वाला बिल राज्यसभा में जाकर फंस गया।
जेल भेजने के प्रावधान पर विपक्ष तैयार नहीं
तीन तलाक बिल पर विपक्ष की सबसे बड़ी आपत्ति इस बात पर है कि शिकायत पर पति को जेल भेज दिया जाए। विपक्ष का तर्क है कि दुनियाभर में कहीं भी तलाक देने पर पति को जेल भेजने का प्रावधान नहीं है। एमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तो यहां तक कह दिया कि इस बिल के बहाने सरकार मुस्लिमों को जेल भेजने की तैयारी में है।
तीन साल की सजा ज्यादा कड़ी
केंद्र द्वारा पेश मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2017 में तीन तलाक देने पर दंड के तौर पर तीन साल की सजा का प्रावधान भी किया गया है। मतलब कोई पति अगर एक बार में अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है तो उसे तीन साल तक की सजा दी जा सकती है। विपक्ष सबसे ज्यादा आपत्ति इसी पर कर रहा है, उसका कहना है कि यह अत्यंत कड़ा दंड है। जिसका दुरुपयोग होने की ज्यादा आशंका है, एमआईएम का तर्क है इसका इस्तेमाल उसी तरह किया जा सकता है जिस तरह दहेज विरोधी कानून का किया जा रहा है।
पति जेल जाएगा तो भरण पोषण कौन देगा
बिल के एक प्रावधान को लेकर भी असमंजस बना हुआ है, जिसमें तीन तलाक पीड़िता को पति की तरफ से गुजारा भत्ता देने का प्रावधान किया गया है। विपक्ष का सवाल है कि जब पति को जेल भेज दिया जाएगा तो गुजारा भत्ता कौन देगा। और पति के जेल में होने पर घर की आय का जरिया क्या रहेगा और कैसे महिला और बच्चों का भरन पोषण होगा।