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तीन तलाक विधेयक से राजनीतिक लाभ लेने की मंशा

नई दिल्ली : लोकसभा में विपक्षी दलों ने तीन तलाक विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए आरोप लगाया है कि सरकार यह विधेयक जल्दबाजी में लायी है और उसका यह कदम उच्चतम न्यायालय के सिद्धांतों के विरुद्ध, राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित और एक वर्ग विशेष को निशाना बनाने वाला है। रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचंद्रन ने गुरुवार को लोकसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 को निरस्त करने वाला संकल्प पेश करते हुए कहा कि सरकार इस विधेयक के माध्यम से एक वर्ग विशेष को निशाना बनाना चाहती है। इसके जरिए उसकी मंशा राजनीतिक लाभ अर्जित करने तथा समाज के एक वर्ग के लोगों को लक्ष्य बनाकर काम करने की है। विधेयक को निरस्त करने के लिए श्री प्रेचंद्रन के अलावा कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी तथा शशि थरूर, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी तथा आईयूएमएल के पी के कुन्हलीकुट्टी ने संकल्प पेश किया था। श्री प्रेमचंद्रन ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने इस तरह का विधेयक लाने को नहीं कहा है लेकिन सरकार उसके फैसले को अपने हिसाब से और अपने हित के लिए प्रस्तुत करके इस तरह के कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को यदि महिलाओं की इतनी ही चिंता है तो उसे अन्य धर्म की महिलाओं के हितों के लिए भी इसी तरह के कदम उठाने चाहिए लेकिन वह ऐसा करने की बजाय दोहरा मापदंड अपना रही है।

उन्होंने कहा कि देश में घरेलू हिंसा कानून है और उसके जरिए भी महिलाओं को संरक्षण दिया जा सकता है लेकिन इसके प्रयोग से राजनीतिक लाभ अर्जित नहीं किया जा सकता इसलिए अलग विधेयक लाया गया है। आईयूएमएल के कुन्हलीकुट्टी ने कहा कि यदि यह विधेयक सचमुच मुस्लिम महिलाओं को राहत देने वाला है और उनके हितों में लाया गया है तो मुस्लिम समाज इसका विरोध क्यों कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को अन्य समुदाय की महिलाओं के हितों के लिए भी कदम उठाने चाहिए लेकिन इससे उसका राजनीतिक मकसद हल नहीं होता इसलिए वह उनके बारे में नहीं सोचती है। उसे सिर्फ मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक विधेयक से फायदा है इसलिए वह इस विधेयक को पारित कराना चाहती है।

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