ज्योतिष डेस्क : देव भूमि भारत में साधु संतों के महापर्व के रूप में कुंभ को मनाया जाता हैं। इस वर्ष 2019 में उत्तरप्रदेश के प्रयागराज के गंगा, यमुना एवं सरस्वती के पावन त्रिवेणी संगम में लगने वाले कुंभ में कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। ये अद्भुत संयोग करीब तीन दशक के बाद बन रहे हैं। इस महाकुंभ में भक्ति और ज्ञान की डूबकी लगाने वाले श्रद्धालु समस्त पापों का नाश होकर अति श्रेष्ठ भाग्य का उदय भी कुंभ भूमि में कदम रखते ही हो जाता हैं। गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने बताया कि प्रयागराज के गंगा, यमुना एवं सरस्वती के पावन त्रिवेणी संगम में लगने वाले कुंभ में कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। खगोल गणनाओं के अनुसार यह मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारम्भ होता है, जब सूर्य और चन्द्रमा, वृश्चिक राशि में और बृहस्पति, मेष राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति 14-15 जनवरी से प्रारंभ होने वाले इस योग को कुम्भ योग कहते हैं। प्रयागराज का कुंभ इस बार पूरे चालीस दिन चलेगा। यानी मकर संक्रांति से महाशिवरात्रि (4 मार्च) तक देश विदेश के श्रद्धालु इस महाकुंभ में भाग लेंगे। इस महाकुंभ में 4 मुख्य शाही स्नान के साथ कुल 8 प्रमुख स्नान की तिथियाँ निर्धारित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इन्हें विशेष मंगलकारी माना जाता है। हिन्दू परंपरा में ऐसी मान्यता है कि इस दिन पृथ्वी से उच्च लोकों के द्वार खुलते हैं और इस दिन स्नान करने से आत्मा को उच्च लोकों की प्राप्ति सहजता से हो जाती है। कुंभ महापर्व में स्नान करना पुण्यदायी माना गया है। डॉ. पण्ड्या ने बताया कि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने कहा हैं कि आध्यात्मिक दृष्टि से कुंभ के काल में ग्रहों की स्थिति एकाग्रता तथा ध्यान साधना के लिए उत्कृष्ट होती हैं। ग्रहों की स्थिति भी इस दिशा में विशेष भूमिका निभाती है।
कुंभ के दौरान बहती गंगा अमृतमय जैसी हो जाती हैं। यही कारण है कि अपनी अंतरात्मा की शुद्धि के लिए पवित्र स्नान करने देश विदेश से लाखों श्रद्धालु श्रद्धा और भक्ति के साथ कुंभ स्नान के लिए देव भूमि भारत के महाकुंभ में आते हैं। साधुओं के अखाड़ों के शाही स्नान से लेकर सन्तों में धार्मिक मंत्रोच्चार, ऋषियों द्वारा सत्य, ज्ञान, मुग्धकारी संगीत, नादों का समवेत अनहद नाद, संगम में डुबकी से आप्लावित हृदय एवं अनेक देवस्थानों के दिव्य दर्शन प्रयागराज कुम्भ की महिमा भक्तों को दर्शन कराते हैं। प्रयागराज कुंभ में आने वाले सभी श्रद्धालुओं से अपिल हैं कि पतित पावनी मां गंगा को निर्मल, उसकी पवित्रता को अक्षुण्य बनाये रखने के लिए संकल्प जरूर लें तभी कुंभ सेवन का दिव्य लाभ भी मिल सकेगा।