रायपुर : स्वामी विवेकानंद विमानतल माना में पिछले 1050 दिनों से अधिक समय से बांग्लादेशी फ्लाइट खड़ी हुई है। बताया जा रहा है कि इस महीने के अंत में एक बार फिर इस विमान को ले जाने की कवायद हो सकती है। इसके लिए प्रयास किया जा रहा है। अगले महीने सात अगस्त को इस फ्लाइट को रायपुर में तीन साल पूरे हो जाएंगे। रायपुर विमानतल अथॉरिटी ने करीब दस दिन पहले इस फ्लाइट को यहां से ले जाने के लिए बांग्लादेशी फ्लाइट कंपनी से संपर्क किया था। इस पर कंपनी ने इस माह के अंत में टीम भेजने की बात कही है। बताया जा रहा है कि कंपनी के अधिकारियों और रायपुर अथॉरिटी के बीच बैठक होगी, जिसमें फ्लाइट को ले जाने की रणनीति तय होगी।
स्वामी विवेकानंद विमानतल में रोजाना का पार्किंग का किराया 8000 से 9000 रुपये है। इस हिसाब से बांग्लादेशी फ्लाइट का किराया 75 लाख रुपये से पार हो गया है। विमानन अधिकारियों का कहना है कि बांग्लादेशी कंपनी फ्लाइट को ले जाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। बताया जा रहा है कि इस कंपनी की एक अन्य फ्लाइट भारत में ही किसी दूसरे विमानतल में खड़ी है। उसे भी ले जाने की कोई तैयारी नहीं है। स्वामी विवेकानंद विमानतल के एपीडी राकेश सहाय ने बताया कि महीने के अंत में होने वाली बैठक के बाद ही पता चलेगा कि यह फ्लाइट कब जाएगी। सात अगस्त 2015 की शाम को सात बजे स्वामी विवेकानंद विमानतल में इस बांग्लादेशी फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग करवाई गई। बताया जाता है कि इस फ्लाइट में करीब 176 यात्री सवार थे और पायलट की सूझबूझ से सभी को सकुशल उतारा गया और दूसरे दिन यानी आठ अगस्त को दूसरी फ्लाइट से वापस भेजा गया।
रायपुर में पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग हुई थी। रायपुर विमानतल द्वारा इस बांग्लादेशी फ्लाइट को यहां से ले जाने के लिए छह से अधिक बार पत्र लिखा जा चुका है, ई-मेल किये जा चुके हैं। कुछ दिनों तक तो जवाब आता रहा, लेकिन पिछले करीब साल भर से जवाब आना ही बंद हो गया था।