नई दिल्ली : ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में 50 मीटर राइफ़ल के इवेंट में रजत पदक जीतने वाली तेजस्विनी सावंत की अपनी अलग पहचान है जिन्हें लोग राइफ़ल क्वीन भी कहते हैं। 2010 शूटिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली तेजस्वीनी पहली भारतीय महिला थी और ऐसा कर उन्होंने इतिहास रचा था। 2001 में तेजस्विनी को अच्छी राइफ़ल की ज़रूरत थी, पिता ने हर दरवाज़ा खटखटाया ताकि बेटी अपना सपना पूर कर सके। माँ भी राज्य स्तर की क्रिकेट और वॉलीबॉल खिलाड़ी थीं तो घर का पूरा समर्थन मिला। महाराष्ट्र के कोल्हापुर की रहने वाली तेजस्विनी को शुरु से ही शूटर बनने का मन था, उन्होंने कोल्हापुर के पास दुधाली में बनी एक छोटी सी शूटिंग रेंज में तेजस्विनी प्रेक्टिस करनी शुरू की जहाँ बहुत कम सुविधाएँ थीं।1999 में वे कमला कॉलेज में एनसीसी-6 महाराष्ट्र गर्ल्स बटैलियन में बेस्ट शूटर घोषित हुई, फिर जब तेजस्विनी ने राष्ट्रीय चैंपिनशिप में पाँच गोल्ड जीते तो सबकी नज़रें इस नए खिलाड़ी पर गईं। वर्ष 2002 में उन्हें पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता खेलने का मौका मिला तो उनसे पास पासपोर्ट तक नहीं था, लेकिन जल्द ही वह अंतरराष्ट्रीय स्टार बन गईं। 2022 के राष्ट्रमंडल खेलों में शूटिंग शामिल नहीं रहेगी और कई भारतीय खिलाड़ियों के लिए राष्ट्रमंडल 2018 में खेलने और मेडल जीतने का ये आख़िरी मौका होगा।