पटनाः बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के करीब दो महीने बाद दो दिन पहले पटना पहुंचते ही राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं। आते ही जहां उन्होंने नीतीश सरकार पर निशाना साधा। वहीं अब अलग अलग जगहों का दौरा भी कर रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर खत्म होने के बाद नेता प्रतिपक्ष आज पहली बार अपने विधानसभा क्षेत्र राघोपुर पहुंचे, लेकिन राघोपुर पहुंचने पर उन्हें विरोध का सामना करना पडा। तेजस्वी को राघोपुर में काले झंडे दिखाए गए।
बताया जाता है कि विरोध जता रहे लोगों का कहना है कि जब राघोपुर की जनता कोरोना महामारी से जूझ रही थी, तब तेजस्वी कहां थे? इस दौरान अपने विधासभा क्षेत्र राघोपुर की जनता का हालचाल जानने की कोशिश उन्होंने क्यों नहीं की? आक्रोशित ग्रामीणों ने तेजस्वी के काफिले को मेदनी चौक के पास काले झंडे दिखाए। इस दौरान आक्रोशित ग्रामीणों ने तेजस्वी यादव के विरोध में नारेबाजी भी की। उन्होंने तेजस्वी यादव वापस जाओ के नारे लगाए।
ग्रामीणों का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान तेजस्वी यादव कभी भी राघोपुर दियारा इलाके में नहीं आए। यहां के किसी अस्पताल में न ही आईसीयू है और न ही कोरोना काल में ऑक्सीजन उपलब्ध था। तेजस्वी ने किसी का हाल-चाल भी नहीं पूछा। इसी कारण ग्रामीणों में गुस्सा है। यहां बता दें कि दिल्ली से पटना आने के दो दिनों बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव आज अपने विधानसभा क्षेत्र राघोपुर गए। स्टीमर से राघोपुर पहुंचे तेजस्वी ने क्षेत्र की जनता से मुलाकात की और उनका हाल-चाल जाना। वही पार्टी कार्यकर्ताओं से भी मिले।
तेजस्वी ने अब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं लेने के सवाल पर कहा कि वे 18 से 44 साल आयु वर्ग के बीच आते हैं। सूबे में जब 70 फीसदी लोगों को वैक्सीन मिल जाएगी, उसके बाद ही वे खुद कोरोना की वैक्सीन लेंगे। उन्होंने कहा कि अभी वैक्सीन की कमी है.। यहां बता दें कि बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने सभी विधायकों के लिए ऐलान किया है कि वे मानसून सत्र के पहले कोरोना की वैक्सीन ले लें और वैक्सीन लेने के बाद ही उन्हें सदन में जाने की अनुमति दी जाएगी। मानसून सत्र अब जल्द ही शुरू होने वाला है, ऐसे में देखना होगा कि तेजस्वी यादव सदन में जा पाते हैं या नहीं?
उधर, जदयू के प्रदेश प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने तेजस्वी यादव पर हमला बोलते हुए कहा है कि अब तेजस्वी को डर सताने लगा है। जिस तरह से पिछले दिनों से उनके भाई और बहन राजनीति में सक्रिय हुए हैं, इससे उनकी नींद उड गई है। इतना ही नहीं उन्हें पार्टी टूटने का भी डर सता रहा है। यही वजह है कि पटना पहुंचते ही भागे-भागे अपनी पार्टी के कार्यालय पहुंचे। संजय सिंह ने कहा कि लालू यादव हो या तेजस्वी यादव सभी दरबार संस्कृति को मानते हैं। पार्टी दफ्तर पहुंचते ही उन्होंने दरबार लगा लिया। उनका इस तरह से बेचैनी में पार्टी कार्यालय पहुंचने का मतलब है कि दाल में काला है। उन्होंने कहा कि उनका डर अपने परिवार के सदस्यों से है क्योंकि पिछले दिनों से उनके भाई-बाहन राजनीति में सक्रिय हो गए हैं। उनका रातों का सुकून और नींद सब छीन लिया गया है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव ऊपर मन से कह रहे हैं कि वह एक पिता के बेटा भी हैं। असल बात तो यह है कि उस पिता के दूसरे जो बच्चे हैं वह भी राजनीति में अपनी जगह तलाश रहे हैं। अब तेजस्वी यादव को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा है।