नई दिल्ली : कर्नाटक चुनाव के बाद हफ्ते भर से पेट्रोल, डीजल की कीमतों में रोजाना उछाल आ रहा है। बीते 12 मई से अब तक दिल्ली में पेट्रोल 1.62 प्रति लीटर रुपए महंगा हो चुका है। रविवार को दिल्ली में पेट्रोल के दाम 76.26 रुपए और मुंबई में 84.07 रुपए हो गए। इस बीच, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इससे आम जनता को हो रही परेशानियों की बात मानी। गौरतलब है कि पेट्रोल 14 सितंबर 2013 को दिल्ली में 76.06 रुपए था। यहां डीजल पहले से ही लाइफटाइम हाई (67.57 रुपए) पर बना हुआ है। पेट्रोलियम मंत्री ने कहा, मैं स्वीकार करता हूं कि तेल कीमतों में बढ़ोत्तरी से देश की जनता और खास तौर से मिडिल क्लास को काफी परेशानी हो रही है। इसके पीछे वजह तेल कंपनियों के प्रोडक्शन में कमी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी है। भारत सरकार जल्द ही इसका हल खोज लेगी। उधर, दिल्ली में बढ़ती तेल कीमतों पर लोगों ने कहा कि सरकार को महंगाई पर लगाम लगाने के लिए एक्साइज ड्यूटी घटनी चाहिए। मुंबई के उपभोक्ताओं ने कहा कि मुंबई में दिल्ली और गुजरात की अपेक्षा पेट्रोल इतना महंगा क्यों है? लोगों को रोजाना करीब 120 रुपए तक पेट्रोल पर खर्च करने पड़ रहे हैं। पिछले साल गुजरात चुनाव से पहले इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन जैसी सरकारी कंपनियों ने वहां लगातार 15 दिन तक पेट्रोल के दाम में 1 से 3 पैसे की कटौती की थी। गुजरात में 14 दिसंबर को विधानसभा चुनाव हुए थे। वहां भी वोटिंग के बाद तेल कंपनियों ने दाम बढ़ाने शुरू कर दिए।
मिली जानकारी के अनुसार विदेशी बाजार में कच्चे तेल की कीमत में उछाल आने से घरेलू बाजार में भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में तेजी रहने की संभावना है। पेट्रोल-डीजल के दाम अभी 6 से 8 रुपए तक बढ़ सकते हैं। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटी ने भी पेट्रोल के दाम में 4 रुपए प्रति लीटर तक उछाल आने की संभावना जताई है। कच्चे तेल की कीमतों में दो साल तक उछाल आने का अनुमान है। 2020 तक यह 90 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है। इससे पहले अक्टूबर 2014 में यह 90 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंचा था। कर्नाटक चुनाव से पहले तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर रखे। इससे उन्हें करीब 500 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है।