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तो इसलिए पाक के प्रधानमंत्री ने हाफिज पर नहीं होने दी ‘कड़ी कार्रवाई’

26/11 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की संस्था जमात उद दावा और फलाह-ए-इंसानियत के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के फैसले से पाकिस्तान ने किस तरह हाथ खींचे, इसकी जानकारी अब निकलकर सामने आई है। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी को डर था कि हाफिज पर सख्त कार्रवाई से उनके लिए बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा हो सकता है। हाल ही में पाकिस्तान में हाफिज के दोनों संगठनों द्वारा संचालित एक मदरसे और चार डिस्पेंसरियों को सरकार ने अपने नियंत्रण ले लिया था, लेकिन अब यह जानकारी सामने आ रही है कि कार्रवाई सिर्फ ‘दिखावा’ थी, क्योंकि इन संगठनों के लिए काम करने वालों के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं किया गया है। तो इसलिए पाक के प्रधानमंत्री ने हाफिज पर नहीं होने दी 'कड़ी कार्रवाई'

सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि पिछले महीने हुई एक बैठक में पीएम अब्बासी हाफिज के दोनों संगठनों पर बैन लगाए जाने के पक्ष में थे, लेकिन आंतरिक मंत्री अहसान इकबाल का मानना था कि अगर इस समय इन संगठनों पर प्रतिबंध लगाया जाता है तो सरकार के लिए वैसा ही संकट खड़ा हो सकता है, जैसा पिछले साल नवंबर में हुआ था। बता दें कि पिछले साल नवंबर में चुनाव सुधार विधेयक, 2017 में संशोधन के खिलाफ शुरू किया गया प्रदर्शन काफी हिंसक हो गया था। तहरीक-ए-लब्बैक या रसूल अल्लाह नाम के इस्लामिक संगठन के इस प्रदर्शन के चलते इस्लामाबाद और रावलपिंडी की रफ्तार थम गई थी। बाद में कानून मंत्री को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। 

बैठक में वित्त और आर्थिक मामलों पर प्रधानमंत्री के सलाहकार मिफ्ताह इस्माइल और विदेश सचिव तहमीना जंजुआ ने अब्बासी को बताया कि फ्रांस में फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) की मीटिंग में पाकिस्तान को अगर आतंकवाद को आर्थिक समर्थन देने वाले देशों की लिस्ट में डाल दिया जाता है तो उसका क्या असर होगा। इसके बाद अब्बासी ने तीन सदस्यों की एक समिति के साथ इस मुद्दे पर आखिरी फैसला लेने के लिए चर्चा की। समिति में इकबाल, इस्माइल और अटॉर्नी जनरल इश्तर औसफ शामिल थे। 

समिति ने तय किया कि इस मुद्दे को अध्यादेश के जरिए सुलझाया जाएगा। इसके बाद ही पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने चुपके से ऐंटी-टेररिजम ऐक्ट, 1997 में संशोधन वाले अध्यादेश पर दस्तखत किए। अध्यादेश के तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा संघ की सूची में शामिल आतंकी संगठनों और आतंकियों को भी प्रतिबंध के दायरे में लाया गया। इसके बाद 9 फरवरी को सरकार ने जमात-उद-दावा के देशभर में अलग-अलग ठिकानों पर कार्रवाई का आदेश दिया। हालांकि हाफिज के संगठनों को इस कानून के ‘शेड्यूल आई’ में नहीं रखा गया। इसका मतलब यह था कि संगठनों की संपत्तियों को जब्त किया जाएगा, लेकिन इससे जुड़े लोगों पर कोई ऐक्शन नहीं लिया जाएगा। 

एक सीनियर पुलिस अधिकारी के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में कहा गया, ‘सरकार ने इस कानून के तहत हाफिज के दोनों संगठनों की संपत्तियां जब्त करने का आदेश तो दिया, लेकिन इसमें पुलिस को यह अधिकार नहीं दिया गया है कि वह इनके कार्यकर्ताओं के खिलाफ केस दर्ज कर सके। ऐसे में पुलिस ने हाफिज के संगठनों की संपत्ति पर नियंत्रण तो कर लिया, लेकिन उसके कार्यकर्ताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।’ 

सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पुलिस को अब भी ‘शेड्यूल आई’ से जुड़े नोटिफिकेशन का इंतजार है। इस नोटिफिकेशन के बिना हाफिज के दोनों संगठनों को पूरी तरह खत्म नहीं माना जाएगा। इसी तरह नैशनल काउंटर टैररेजम अथॉरिटी (NACTA) ने भी अपनी वेबसाइट पर प्रतिबंधित संगठनों की सूची को अपडेट करने से इनकार कर दिया है। 

 

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