नई दिल्ली। हिन्दी सिनेमा ने एकबार फिर दर्शकों को अपना दीवाना बना लिया है, वजह है फिल्म ‘पिंक’। अभी आए दिन हर किसी की जुबान पर शूजीत सरकार की फिल्म ‘पिंक’ की चर्चा है। ऐसी पहली फिल्म है, जिसमें महिलाओं के अनकहे पहलू को पहली बार सशक्त तरीके से रखा है।
आपको बता दे कि फिल्म रिलीज के समय जब फिल्म के निर्माता शूजीत सरकार से पूछा गया कि उन्होंने इस फिल्म का नाम ‘पिंक’ क्यों रखा तो उन्होंने कहा, ‘जब लोग उनकी यह फिल्म देखेंगे तो उन्हें खुद पता चल जाएगा कि यह नाम क्यों रखा गया है। फिर हम सभी ने यह कयास भी लगाया कि इसका नाम पिंक कलर से संबंधित हो सकता है, जिसे आमतौर पर लड़कियों का रंग माना जाता है।
पर सच्चाई कुछ और है। शूजीत सरकार को ना केवल बेहतरीन फिल्में बनाने के लिए जाना जाता है बल्कि वह अपनी हर फिल्म का नाम भी ऐसा रखते हैं जिसमें गहरे मायने छिपे होते हैं। ‘पिंक’ नाम रखने के पीछे उनकी सोच काफी अलग थी। आपको बता दे कि फिल्म का नाम ‘पिंक’ क्यों रखा गया है। ‘कई डिक्शनरीज में पिंक का मतलब बलपूर्वक या क्रूरता से या डराकर, महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाना है।’ कहीं ना कहीं ये फिल्म भी इसी बात के इर्द गिर्द घूमती है।
साथ ही आपको बता दे कि कई देशों में पिंक एक ऐसी गाली है, जिसके मायने होते हैं एक महिला को शारीरिक रूप से जबरदस्ती हासिल करना। तो अब आपको पता चला ना कि आखिर फिल्म का यह नाम क्यों है और क्यों स्क्रिप्ट के हिसाब से यह नाम बिल्कुल सटीक है।