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….तो बदल जाएगा नेशनल हेराल्ड वाली कंपनी का नाम

national-herald-5666b41c7ea66_exlstदस्तक टाइम्स एजेन्सी/  आठ दशक पहले नेशनल हेराल्ड प्रकाशित करने के लिए जवाहर लाल नेहरू ने लखनऊ में जिस कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की नींव रखी, अब वह राजधानी में अपना नाम बदलने जा रही है।
इसके लिए कंपनी ने गुरुवार को अपनी आम सभा बुलाई है। इस सभा में शामिल होने के लिए गुरुवार दोपहर मोतीलाल बोरा, सैम पिटरौदा, आस्कर फर्नानिडस, रतना सिंह, सलीम शेरवानी, जितिन, दीपेन्द्र हुड्डा पहुंचे।

यह बैठक कंपनी के एमडी और कांग्रेस के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा ने बुलाई है। वह खुद इसमें शामिल हो रहे हैं। दूसरी ओर कंपनी से प्रकाशित हो चुके अखबारों के कर्मचारी नेहरू मंजिल के बाहर धरने पर बैठे हैं। वे इस बैठक का विरोध करेंगे। इसलिए इसके हंगामेदार होने के आसार हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी की बहुमत हिस्सेदारी वाली कंपनी ‘यंग इंडियन’ द्वारा एजेएल की देनदारियां व संपत्ति ग्रहण करने और इसे लेकर दिल्ली की निचली अदालत में चल रहे केस की वजह से यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है।

पिछले महीने एजेएल के बोर्ड ने सभी सदस्यों को आम सभा में शामिल होने के लिए नोटिस दिया था। कंपनी के सभी शेयरधारकों को भी इस नोटिस के जरिये आम सभा व इसके एजेंडे की सूचना दी गई थी।

बोर्ड चाहता है कि एजेएल कंपनी अपने सदस्यों के लाभांश, अन्य फायदों और वित्तीय उद्देश्यों के लिए काम न करे। कोर्ट में जारी मुकदमे के अलावा एक विवाद शेयरधारकों को लेकर भी है, जिन्हें एजेएल ने यंग इंडियन से हुए करार के बारे में सूचित नहीं किया था।

1880 के समय में एंड्र्यू बिरकेट नामक एक अंग्रेज शिक्षक ने लखनऊ में मौजूदा विवादित संपत्ति के करीब 2 एकड़ हिस्से में बिरकेट हाईस्कूल शुरू किया था।

कुछ वर्षों बाद यह बंद हो गया। 1938 में जवाहरलाल नेहरू ने इस संपत्ति को एजेएल कंपनी बनाकर खरीदा और उसी वर्ष 9 सिंतबर 1938 को नेशनल हेराल्ड अखबार शुरू किया।
अगले दस वर्ष में यहीं से उर्दू अखबार कौमी आवाज और हिंदी अखबार नवजीवन भी निकला।

आर्थिक संकट की वजह से अखबार का दफ्तर शिफ्ट करके नेहरू मंजिल शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण शुरू हुआ लेकिन लागत बढ़ने से इसे अधूरा छोड़ दिया गया। 1999 तीनों अखबार बंद कर दिए गए।

देनदारियां चुकाने के लिए अखबार की काफी चल संपत्तियां कुर्क कर दी गईं। कर्मचारियों से विवाद हुए, कोर्ट में मुकदमे चले। कर्मियों को 2007 में भुगतान के बाद विवाद खत्म माना गया।

हालांकि, अधिकतर ने इस पर आपत्ति जताई और विवाद आज भी जारी है। 2008 में यहां राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट के अधीन इंदिरा गांधी आई हॉस्पिटल शुरू हो गया। आज नेहरू मंजिल सहित इसकी कुल संपत्ति करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपये आंकी जा रही है।

•कंपनी एक्ट 2013 के अनुसार होंगे बदलाव
•एजेएल को गैर लाभकारी कंपनी बनाने पर विचार
•कंपनी का नाम बदला जाएगा
•प्राथमिक हिस्सेदारियों को लेकर चर्चा होगी
•यदि प्रस्ताव पारित हो गया तो कंपनी फायदे के लिए काम करना छोड़ देगी
•इसे सार्वजनिक उपयोग की कंपनी बनाने पर विचार

वोरा के घेराव की तैयारी

एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड कर्मचारी यूनियन का कहना है कि वह कंपनी के प्रबंध निदेशक मोतीलाल वोरा का घेराव करेगी। कर्मचारी 18 जनवरी से नेहरू मंजिल पर धरना दे रहे हैं। उनका कहना है कि अखबारों के कर्मचारियों को प्रकाशन बंद होने पर पूरा भुगतान किए बिना ही कंपनी ने निकाल दिया था।

यूनियन से जुड़े दिलीप सिन्हा ने बताया कि एजेएल की आम सभा दोपहर 3 बजे होने की सूचना दी गई है, लेकिन इस पर उन्हें विश्वास नहीं है। बहुत संभव है कि कंपनी का बोर्ड यह बैठक नेहरू मंजिल पर न करवाए।

यूनियन के पूर्व अध्यक्ष नाजिम हुसैन, आबिद मेंहदी, राकेश मणि पांडेय और आरके सिंह आदि ने बताया कि कंपनी का नाम बदलकर शेयरधारकों और देनदारों को धोखा देने की कोशिश हो रही है, इसका विरोध किया जाएगा।

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