तो बर्फ जमने के पीछे ये करामाती बैक्टीरिया तो नहीं!
एजेंसी/नई दिल्ली। बैक्टिरिया की मौजूदगी हर जगह है। उसका अस्तित्व निचले वायुमंडल से लेकर एमेजॉन के जंगलों तक है। लेकिन अगर आपको पता चले कि एक बैक्टिरिया पानी के साथ खास तरह की प्रतिक्रिया करने के बाद उसे बर्फ में तब्दील कर सकता है तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी? जाहिर है आप हैरान होंगे लेकिन यह सच है।
स्यूडोमोनास सीरेंज नाम का बैक्टिरिया खास तरह के प्रोटीन का इस्तेमाल कर पानी के अणुओं को कई तरह के पैच में बदलता रहता है। इसकी मदद से काफी ज्यादा तापमान पर भी बर्फ को जमाया जा सकता है। इसके अलावा उन तमाम तरह की परिस्थितियों में भी बर्फ को जमाया जा सकता है जहां ऐसा करना बेहद कठिन है।
यहीं नहीं इस बैक्टिरिया की वजह से दुनिया में कई तरह की विचित्र घटनाएं भी घट सकती हैं। यह कुछ-कुछ बटरफ्लाई इफेक्ट जैसा ही है। इस इफैक्ट के अनुसार अगर कोई तितली ब्राजील में पंख फड़फड़ाती है तो उससे टैक्सास में तूफान आने का खतरा पैदा हो सकता है। इसी की तर्ज पर जब एमेजॉन जंगलों में भारी मात्रा में पाए गए इन बैक्टिरिया की जांच पड़ताल की कोशिश की गई तो पाया कि मिडिल इस्ट से लेकर अंटार्टिका में बेमौसम बारिश के पीछे इन बैक्टरिया का ही हाथ हो सकता है।
कर्ट वोंगेट की किताब के अनुसार धरती उस समय अपने खात्मे के करीब पहुंच जाएगी जब वैज्ञानिक सामान्य तापमान पर बर्फ बनाने की क्षमता प्राप्त कर लेंगे। इसे आईस-9 भी कहा जाता है। सौभाग्य से पी. सीरींज के पास उतना माद्दा नहीं कि वह आईस 9 की तरह बर्ताव कर सके क्योंकि ये बैक्टिरिया कभी भी ऐसी जगहों पर बर्फ नहीं बना पाएगा जहां तापमान 50 डिग्री के पार हो। ये प्रोटीन थर्मोडायनामिक्स को नहीं हरा सकते हैं।