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दलित और पिछड़ा एजेंडे को लेकर मिशन 2019 के लिए तैयार हो चुकी है भाजपा की रणनीति

2019 का चुनावी किला फतह करने के लिए मिशन यूपी पर निकले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का फोकस दलित और पिछड़ा वर्ग में पैठ बढ़ाने पर है। गोरखपुर, फूलपुर और कैराना के नतीजों से सबक लेकर यह रणनीति तैयार की गई है कि सपा-बसपा गठबंधन का दलित-मुस्लिम समीकरण किसी भी सूरत में बनने न दिया जाए। माना जा रहा है कि इसी को ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एएमयू और जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में दलितों को आरक्षण दिए जाने का मुद्दे छेड़़ा है। पार्टी अब इसे आगे बढ़ाने पर काम करेगी।

अमित शाह यूपी के दो दिन के दौरे पर हैं। बुधवार को वाराणसी और मिर्जापुर में थे। वहां 80 विस्तारकों के साथ मीटिंग की। फोकस में लोकसभा की 41 सीटें थीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी साथ रहे। गुरुवार यानी आज दोनों आगरा में होंगे। यहां ब्रज, अवध और पश्चिम प्रांत की मीटिंग होगी। इन तीन प्रांत में लोकसभा की 39 सीटें हैं। इनमें दलित और पिछड़ा वर्ग के वोट निर्णायक भूमिका में है। 

अगर सपा-बसपा गठबंधन का दलित – मुस्लिम ( डीएम ) या दलित-यादव ( डीवाई ) समीकरण चल निकले तो कमल खिलना मुश्किल हो जाता है। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि गठबंधन के गणित को ध्यान में रखकर ही भाजपा ने रणनीति तैयार की है। अमित शाह विस्तारकों को इसी रणनीति पर काम करने का मंत्र देंगे।

ब्रज की बात करें तो यहां दलित और पिछड़ा सबसे अहम है। 2014 में मोदी लहर के बावजूद मैनपुरी और फिरोजाबाद में साइकिल चली। आगरा को तो 30 फीसदी दलित आबादी होने के कारण दलितों की राजधानी कहा जाता है।

भाजपा का फार्मूला

-संगठन में दलित और पिछड़ा वर्ग के नेताओं को तवज्जो दी जाएगी। जल्द ही कई का प्रमोशन हो सकता है।
– योगी सरकार इन वर्ग की योजनाओं का प्रचार प्रसार ज्यादा करेगी, जल्द ही नई योजनाएं भी दी जाएंगी।
-मंत्रीमंडल का विस्तार होने पर इन वर्गो से और भी मंत्री बनाए जा सकते हैं।
-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दलितों के बीच समरसता संगम पहले से कर रहा है। इस अभियान को और तेज किया जाएगा।
-एएमयू और जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में दलितों के आरक्षण के मुद्दे को और हवा दी जाएगी।

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