अन्तर्राष्ट्रीय

दिग्गज कंपनियां अगर हुनर को तवज्जों नहीं देती तो कहां होती : उर्जित

एपल,सिस्को और आईबीएम का दिया उदाहरण
न्यूयॉर्क (एजेंसी)।ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से एक चलन शुरु हुआ हैं कि अब सभी देश अपने नागरिकों को नौकरी में पहले प्राथमिकता देना शुरु कर रहे है। इस पर बड़ा बयान देते हुए आरबीआई गर्वनर उर्जित पटेल ने कहा हैं कि संरक्षणवाद के खिलाफ चेतावनी देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि एपल, सिस्को और आईबीएम जैसी दिग्गज अमेरिकी कंपनियों ने अगर दुनियाभर से टैलंट और प्रॉडक्ट्स को तवज्जों नहीं दिया होता तो वो कहां होतीं। एक लेक्चर देने के बाद आरबीआई गवर्नर ने कहा,मुझे नहीं लगता है कि हमें पता भी है कि इस बारे में अमेरिकी नीति आखिर कहती क्या है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दृढ़ धारणा है कि खुली कारोबारी व्यवस्था से दुनिया को फायदा हुआ है।पटेल ने ये बातें दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में संरक्षणवादी भावनाओं के उफान को लेकर किए गए सवाल के जवाब में कहा। उन्होंने कहा कि अमेरिका सहित दुनियाभर की सबसे कुशल कंपनियों के शेयरों की कीमतें आज ग्लोबल सप्लाई चेन की वजह से इतनी ऊंची है। उन्होंने कहा, ’एपल कहां होता, सिस्को कहां होता, आईबीएम कहां होता, अगर इन्होंने दुनियाभर से प्रॉडक्ट्स और टैलंट को अपनाया नहीं होता।अगर नीतियां इस रास्ते में आएंगी तो अंतत: संरक्षणवाद को समर्थन करने वाले किसी देश में बड़ी संपत्ति पैदा करनेवाली कंपनियां प्रभावित होंगी।’
पटेल ने कहा कि अमेरिका इक्विटी और डोमेस्टिक डिस्ट्रीब्यूशन के मुद्दे पर संरक्षणवाद के रास्ते पर चल पड़ा जबकि अर्थशास्त्र के बुनियादी सिद्धांत कहते हैं कि इनसे टैक्सेशन और इनकम ट्रांसफर्स जैसी घरेलू वित्तीय नीति के जरिए निपटना चाहिए। उन्होंने कहा कि संरक्षणवाद के लिए ट्रेड इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल किसी राष्ट्र को विकास के माहौल से अलग कर सकता है। इसके लिए कस्टम्स डयूटीज, बॉर्डर टैक्स जैसे ट्रेड इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल सबसे कारगर तरीका नहीं हो सकता। बल्कि इससे आप कहीं और ही चले जाएंगे। आपको पता नहीं है कि जिन मुद्दों का आप समाधान करना चाहते हैं, उसके इतर इक्विटी और डिस्ट्रीब्यूशन पर इन नीतियों के क्या असर होंगे।पटेल ने कहा,इसे घरेलू नीति का मुद्दा मानना चाहिए और इनसे निपटने के मकसद से घरेलू वित्तीय नीति का इस्तेमाल करना चाहिए।भारतीय रुपया की बात करते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि यह पूर्णतया बाजार निर्धारित है और केंद्रीय बैंक का हस्तक्षेप सिर्फ उठापटक को शांत करने के लिए होता है। उन्होंने कहा,मुझे लगता है कि हमें आगे बढ़ते हुए इसी नीति का पालन करना ही हमारे लिए उचित है।
आशीष/ईएमएस/25अपैल 2017

Related Articles

Back to top button