दिल्ली, आगरा, वाराणसी और लखनऊ में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब
एजेन्सी/वायु गुणवत्ता सूचकांक ने देश में वायु प्रदूषण की खतरनाक स्थिति की ओर इशारा किया है। इसके अनुसार दिल्ली, वाराणसी, आगरा और लखनऊ समेत 23 प्रमुख शहरों में गंभीर वायु प्रदूषण है। सिर्फ एक प्रतिशत मामलों में स्थिति अच्छी पाई गई है। हालात की गंभीरता के मद्देनजर पर्यावरण मंत्रालय ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए नई कार्ययोजना बनाई है।
वायु गुणवत्ता सूचकांक में छह श्रेणियां तय की गई हैं, जिसके तहत अच्छा, संतोषजनक, साधारणतया प्रदूषित, खराब, बहुत खराब और गंभीर स्थिति को खंडों में बांटा गया है। पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक पिछले महीनों के आंकड़ों में 16 प्रतिशत स्थानों पर स्थिति गंभीर पाई गई है। इसके साथ ही 26 प्रतिशत स्थानों पर हालत बेहद खराब श्रेणी में है। खराब श्रेणी में 15 प्रतिशत मामले हैं। इस तरह 88 प्रतिशत मामले संतोषजनक नहीं हैं। रिपोर्ट के मुताबिक आगरा में चार स्थानों पर वायु गुणवत्ता खराब, 13 स्थानों पर बेहद खराब और 12 स्थानों पर गंभीर पाई गई।
इसी तरह दिल्ली में 23 स्थान वायु गुणवत्ता के सूचकांक में बहुत खराब श्रेणी में पाए गए हैं। पांच स्थानों पर हालत गंभीर मिली। लखनऊ में 21 स्थान वायु गुणवत्ता के मामले में बहुत खराब श्रेणी में शुमार हैं। वाराणसी में 18 स्थान गंभीर श्रेणी के तहत आते हैं।स्थिति में सुधार के लिए पर्यावरण मंत्रालय ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के राज्यों के साथ नियमित समन्वय बैठकें आयोजित कर नए उपायों पर विचार शुरू किया है। प्रमुख उद्योगों मेें प्रदूषण नियंत्रण के लिए सतत निगरानी उपकरण लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पर्यावरणीय निगरानी दस्ते का गठन कर लिया है।
यह दस्ता प्रतिष्ठानों में औचक निरीक्षण करेगा। इसके अलावा वाहनों के ईंधन मानकों में बदलाव करने की योजना है। सभी तरह के कचरे के प्रबंधन के लिए नियमावली को कठोर बनाया जा रहा है। पत्तियों, बायोमास, नगरीय ठोस कचरे को जलाने पर रोक लगा दी गई है। वायु गुणवत्ता के लिए राज्यों को केंद्र की ओर से इस साल अब तक लगभग 10 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
पर्यावरण मंत्रालय ने पहले 10 शहरों के लिए वायु गुणवत्ता सूचकांक पर स्थिति तय करना शुरू किया था। अब इसमें विस्तार कर 23 शहरों को जोड़ दिया गया है। इस सूची में दिल्ली, आगरा, वाराणसी व लखनऊ के अलावा फरीदाबाद, गुड़गांव, कानपुर, और पंचकूला भी शामिल हैं। 10 लाख से अधिक आबादी वाले 46 शहरों और राज्यों की 20 राजधानियों को भी इस योजना से जोड़ने का निर्णय लिया गया है।