लापरवाही से जुड़े एक मामले में दिल्ली के वजीरपुर स्थित मैक्स अस्पताल पर 30 लाख रुपयों का जुर्माना लगाया गया है। मामला 2007 का है। आरोप है कि नॉर्मल डिलिवरी के केस में बच्चे को बेरहमी और हिंसक तरीके से खींचकर बाहर निकाला गया, जिसकी वजह से बच्चे का बायां हाथ ऐबनॉर्मल हो गया। बच्चे के हाथ के बारे में पैरंट्स को कुछ समय बाद पता चला। करीब 10 साल पुराने इस केस में दिल्ली कन्जयूमर कमिशन ने अस्पताल पर 30 लाख रुपयों का जुर्माना लगाने का फैसला किया।
क्या है मामला
मामला जून 2007 का है, जब आरती गर्ग मैक्स अस्पताल में ऐडमिट हुई थीं। भर्ती होने के दूसरे दिन उन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया और कुछ समय बाद पता चला कि बच्चे के बाएं हाथ में कुछ विसंगति है, जिसे डॉक्टरों ने ‘शोल्डर डिस्टोशा’ बताया। यह स्थिति तब पैदा होती है जब बच्चे का सिर बाहर आने के बाद बेबी का हाथ बाहर निकालने में दिक्कत आती है। पैरंट्स की शिकायत के मुताबिक, डॉकटरों ने बेबी को बाहर खींचने में बर्बरता दिखाई, जिसके कारण ऐसा हुआ। अपनी शिकायत के सपॉर्ट में उन्होंने डायग्नॉस्टिक सेंटरों की रिपोर्ट्स भी पेश कीं।
अस्पताल का कहना है कि बच्चे की डिलिवरी में पूरी सावधानी बरती गई। हालांकि शोल्डर डिस्टोशा बहुत रेयर है लेकिन डॉक्टरों को इसकी जानकारी है। बच्चे के परिवार ने अस्पताल को लीगल नोटिस सर्व करते हुए बच्चे को हुए पर्मानेंट इंजरी के लिए 50 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की थी। अस्पताल ने पैरंट्स की यह मांग नहीं मानी और पैरंट्स को केस ग्राहक आयोग तक ले जाना पड़ा।
अस्पताल ने राम मनोहर लोहिया अस्पताल की साल 2010 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोपों को खारिज किया लेकिन आयोग ने उसे नहीं माना और कहा कि शोल्डर डिस्टोशा की वजह से इसे असामन्य डिलिवरी ही माना जाएगा।