एजेंसी/नई दिल्ली : आप सरकार ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए बुधवार को एक मसौदा विधेयक जारी किया जिसमें पुलिस, भूमि और नौकरशाही को इसके नियंत्रण में लाने का प्रावधान है। इसने 30 जून तक लोगों से सुझाव मांगे हैं। इस तरह इसने केंद्र के साथ तकरार का एक और मोर्चा खोल दिया है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस मुद्दे पर एक सर्वदलीय बैठक होगी। उन्होंने प्रतिद्वंदी पार्टियों भाजपा और कांग्रेस से मतभेदों से उपर उठने का अनुरोध किया तथा इन दोनों पार्टियों के पुराने घोषणापत्रों का हवाला दिया जिसमें पूर्ण राज्य का दर्जा का वादा किया गया था। मसौदा के केंद्र द्वारा खारिज किए जाने की स्थिति में आप की कार्ययोजना के बारे में पूछे जाने पर केजरीवाल ने कहा, ‘भाजपा ने इस मुद्दे पर सर्वाधिक संघर्ष किया है। उन्होंने लगातार इस मुद्दे को उठाया है। हम इस मसौदा पर लोगों का विचार मांग कर महज उनके संकल्प को आगे ले जा रहे हैं।’
केजरीवाल ने कहा कि वह पत्र लिखेंगे और मसौदा विधेयक के लिए समर्थन जुटाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलेंगे। मसौदा विधेयक में हाई प्रोफाइल एनडीएमसी इलाके को इसके अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा गया है। विधेयक में यह भी कहा गया है कि दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957, दिल्ली विकास अधिनियम 1957, दिल्ली पुलिस अधिनियम 1978 में सारे संशोधनों और संविधान की सातवीं अनुसूची में मौजूद राज्य सूची के विषय पर संसद द्वारा पारित सभी अन्य विधान को दिल्ली राज्य की विधान सभा क्रियान्वित करेगी।
केजरीवाल ने कहा कि 30 जून के बाद मसौदा का आखिरी रुख तैयार किया जाएगा और इस सिलसिले में दिल्ली विधानसभा द्वारा एक संकल्प पारित किया जाएगा। ‘हम संकल्प को केंद्र के पास भेजेंगे जो इस पर संविधान संशोधन करेगी।’ मुख्यमंत्री ने कहा कि मसौदा को दिल्ली सरकार के वेबसाइट पर डाल दिया गया है। इसके पारित होने से हम कांग्रेस और भाजपा के सपनों को पूरा करना चाहते हैं। हमें दलगत भावना से उपर उठना चाहिए। संकल्प पारित करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र भी बुलाया जा सकता है।
केजरीवाल के साथ उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि एनडीएमसी क्षेत्र में दूतावास इलाके और केंद्र सरकार का इलाका आता है तथा इसके मद्देनजर एनडीएमसी क्षेत्र की अलग पुलिस होगी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि अमेरिका के कई शहर, शैक्षणिक विश्वविद्यालय अपना खुद का पुलिस विभाग संचालित करते हैं जो शहर के पुलिस विभाग से अलग है। ये विश्वविद्यालय पुलिस विभाग अपने अधिकार क्षेत्र वाले इलाके में नगर पुलिस की तुलना में उच्च गुणवत्ता की सेवाएं देने में सक्षम हैं जैसे कि त्वरित प्रतिक्रिया, लगातार गश्त करना।
अपने तर्क के समर्थन में केजरीवाल ने भाजपा का 1993 से 2014 तक के चुनाव घोषणापत्रों और गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू सहित इसके नेताओं के बयानों का हवाला दिया। केजरीवाल ने बताया, ‘लालकृष्ण आडवाणी ने दिल्ली पूर्ण राज्य विधेयक 2003 में संसद में रखा था। इसे प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाली एक स्थाई समिति को भेजा गया था। लेकिन किसी कारणवश यह पारित नहीं हो सका। यहां तक कि कांग्रेस ने भी अतीत में पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की हिमायत की है।’
केजरीवाल ने बताया कि रिजिजू ने 2006 में पूर्ण राज्य का दर्जा का समर्थन किया था। वीके मल्होत्रा ने इस मुद्दे को 2011 में उठाया गया था। भाजपा ने 2013 में अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में इस सिलसिले में अपना संकल्प दोहराया था। 25 मई 2014 को हर्षवर्धन ने कहा था कि नये प्रधानमंत्री के समक्ष वह जो पहला मुद्दा उठाएंगे वह पूर्ण राज्य का दर्जा के बारे में है। उन्होंने बताया कि मसौदा में कहा गया है कि एनडीएमसी इलाका केंद्र के पास रहेगा और शेष क्षेत्र दिल्ली की निर्वाचित सरकार के तहत आना चाहिए।
विधेयक में यह भी कहा गया है कि दिल्ली के राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह से काम करेंगे जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 163 में प्रावधान किया गया है। दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाना आप का एक बड़ा चुनावी वादा है। पिछले साल आप ने इस मुद्दे पर जनमत संग्रह कराने की योजना बनाई थी जिसे बाद में ठंडे बस्ते में डाल दिया गया क्योंकि विशेषज्ञों ने कहा कि ऐसा कुछ करना असंवैधानिक होगा।