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नई दिल्ली: वर्ष 2012 में देश की राजधानी दिल्ली में एक चलती बस में एक मेडिकल छात्रा के साथ गैंगरेप करने वाले छह अपराधियों में से सबसे छोटी उम्र का दोषी अगले महीने रिहा हो जाएगा, इसलिए उसे जेल में ही कैद रखने के वास्ते दिल्ली पुलिस उसके खिलाफ नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत नए आरोप लगाने पर विचार कर रही है।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बीते शनिवार को कानूनी विशेषज्ञों से मुलाकात कर चर्चा की कि अब 21 वर्ष के हो चुके इस अपराधी के खिलाफ कड़ा आतंकवाद-रोधी कानून इस्तेमाल किया जा सकता है या नहीं। नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (या एनएसए) के तहत किसी भी व्यक्ति को लगातार 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है। इंटेलिजेंस ब्यूरो की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2011 में दिल्ली हाईकोर्ट में हुए ब्लास्ट के संदिग्ध ने इसी साल सितंबर में गैंगरेप के इस दोषी का ब्रेनवॉश कर दिया है।
इस मामले में गृह मंत्रालय ने भी दिल्ली पुलिस से सलाह मांगी है, क्योंकि उन्हें इस बात की चिंता है कि इसकी रिहाई के बाद जनाक्रोश उमड़ सकता है।
बलात्कारी क्यों हो जाएगा तीन साल में रिहा…?
इस दोषी को, जो इस भयावह अपराध के वक्त 18 वर्ष का नहीं हुआ था, तीन साल के लिए सुधार गृह में रखे जाने की सज़ा सुनाई गई थी। अधिकतर लोगों का मानना था कि इसे दिया गया दंड अपराध की गंभीरता और नृशंसता को देखते हुए काफी कम है। इसी मामले के चलते इन मांगों ने ज़ोर पकड़ा था कि जघन्य अपराधों में शामिल होने वाले किशोरों पर भी वयस्कों की तरह मुकदमा चलाया जाना चाहिए। इसी गैंगरेप और हत्या के लिए चार अन्य वयस्क अभियुक्तों को फांसी की सज़ा सुनाई गई थी, जबकि एक अभियुक्त जेल में ही मरा पाया गया था।
‘सिर्फ हमारे लिए नहीं, समाज के लिए भी खतरा है यह अपराधी’
23-वर्षीय छात्रा, जिसे निर्भया के नाम से जाना गया, के माता-पिता इस अपराधी की रिहाई के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के पास पहुचे हैं, और उनका कहना है कि यह अपराधी उन्हीं के लिए नहीं, समाज के लिए भी खतरा है।
उन्होंने कहा कि दरअसल यही ‘अवयस्क’ उनकी पुत्री की मौत के लिए जिम्मेदार था, और सभी बलात्कारियों में सबसे ज़्यादा नृशंस रहा था, और इसके अलावा वह रिहाई के बाद फिर अपराध की राह पर ही चल सकता है। निर्भया के पिता ने मांग की है कि इस अपराधी का वास्तविक चेहरा पूरी दुनिया को दिखाया जाना चाहिए।
मानवाधिकार आयोग का केंद्र व दिल्ली सरकार को नोटिस
अब निर्भया के माता-पिता की शिकायत के आधार पर मानवाधिकार आयोग ने केंद्र तथा दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। एनएचआरसी के बयान के मुताबिक, “उन्होंने (निर्भया के माता-पिता) कहा है कि ऐसे लोग आम आदमी की ज़िन्दगी और आज़ादी के लिए खतरा हैं… ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि इन्हें काबू में रखा जा सके, और आम लोगों को इन अपराधियों के हाथों नुकसान पहुंचने का कोई खतरा न रहे…”
आयोग ने दिल्ली सरकार यह भी पूछा है कि क्या अपराधी की मानसिक हालत का आकलन किया गया है।