‘महिलाओं के साथ धोखा होता है, धोखा होता आया है’
उन्होंने कहा, ‘मैंने कल भी कहा था कि इस सुनवाई का कोई फायदा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, लोअर कोर्ट, सभी ने हाथ उठा दिए हैं तो अब कोर्ट से क्या उम्मीद करनी है, लेकिन मैं इतना जरूर कहूंगी कि इस तरह के फैसले ने समाज में अपराध को बढ़ावा दिया है और उन बच्चों के हाथ में सर्टिफिकेट पकड़ा दिया है कि 18 साल से कम उम्र में बच्चियों के साथ रेप करो, कुछ भी करो, हमारे कानून में कोई प्रावधान नहीं है कि तुमको सजा मिले, क्योंकि उनको मुजरिमों की ज्यादा चिंता है। मुजरिमों को सपोर्ट किया जाता है। महिलाओं के साथ धोखा होता है, धोखा होता आया है। आज भी धोखा हुआ है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए कोई भी कुछ करना नहीं चाहता। अगर निर्भया के केस में इंसाफ नहीं मिला तो मुझे लगता है कि भारत में कभी कानून नहीं बदलेगा और महिलाओं को कभी इंसाफ नहीं मिलेगा।’
‘कानून को बदलवाने के लिए लड़ाई लड़ती रहूंगी’
उन्होंने आगे कहा कि मैं यही हार नहीं मानूंगी। मैं उस कानून को बदलवाने के लिए लड़ाई लड़ती रहूंगी जब तक की नाबालिग अपराधियों की उम्र सीमा कम करने को लेकर बिल पास नहीं हो जाता।
‘अभी तो एक अपराधी छूटा है’
आशा देवी ने मीडिया से आगे कहा, ‘अभी तो एक अपराधी छूटा है, अभी चार मुजरिमों की अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। मैं सुप्रीम कोर्ट से यही निवेदन करती हूं कि जुवेनाइल के लिए कानून में कोई प्रावधान न होने के चलते उसे छोड़ दिया गया, लेकिन कृपया अगर हमारे दुख और महिलाओं की सुरक्षा की आपको जरा भी चिंता है तो जल्दी से इन मुजरिमों को फांसी पर लटकाइये।’
‘अगर इस केस में इंसाफ नहीं मिला तो कानून पर भरोसा नहीं रखना चाहिए’
उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार को हमारी कानून व्यवस्था को दुरूस्त करना चाहिए। अगर निर्भया के केस से किसी ने सबक नहीं लिया तो यह इस देश का दुर्भाग्य है। अगर इस केस में हमें इंसाफ नहीं मिला तो किसी को कानून से कोई भरोसा नहीं रखना चाहिए।’