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दिल्ली गैंगरेप: सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग की रिहाई के खिलाफ महिला आयोग की याचिका खारिज की

supreme-court-650_650x488_41436210115सरगुजा. छत्तीसगढ़ दिल्‍ली गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग की रिहाई के खिलाफ दिल्‍ली महिला आयोग की याचिका खारिज कर दी है. अदालत ने कहा कि नाबालिग की रिहाई कानून के मुताबिक है. दोषी को और जेल में नहीं रख सकते हैं.

अदालत के इस फैसले पर ‘निर्भया’ के मां-बाप ने अफसोस जताया है. उन्‍होंने कहा कि उन्‍हें पता था, यही होगा.

दिल्‍ली गैंगरेरप का गुनहगार नाबालिग किशोर सुधार गृह से रिहा हो चुका है. नाबालिग की सुरक्षा को देखते हुए उसे दिल्‍ली के एनजीओ को सौंपा गया है.

दिल्‍ली पुलिस उपायुक्त (उत्तर जिला) मधुर वर्मा न कहा, ‘किशोर को चार-पांच दिन पहले ही सुधार गृह से स्थानांतरित कर दिया गया था. उसे किसी अज्ञात स्थान पर ले जाया गया था और उसे एक एनजीओ के संरक्षण में रखा गया था. हालांकि, पुलिस को उसके मौजूदा ठिकाने के बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं है.’

पुलिस हिरासत में निर्भया के मां-बाप

वहीं, ‘निर्भया’ के माता-पिता को रविवार को उस समय पुलिस ने हिरासत में ले लिया, जब वे मामले के दोषी किशोर को रिहा किए जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. बाद में उन्‍हें छोड़ दिया गया.

‘निर्भया’ के पिता बद्रीनाथ ने दोषी की रिहाई के बारे में कहा, ‘हमें कोई आशा नहीं है.. जो मर गया वह जिंदा नहीं होगा. लेकिन यह एक बहुत ही गलत निर्णय है. कागजों पर से रिकार्ड मिटाया जा सकता है, लेकिन लोगों के मन-मस्तिष्क से इसे भला कैसे मिटाया जा सकता है?’

क्‍या है कानूनी पेंच?

दरअसल, सामूहिक दुष्कर्म के इस मामले में गिरफ्तारी के समय किशोर की उम्र 18 वर्ष से कम थी, लिहाजा उसके खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम के तहत सुनवाई हुई. उसे कानूनी प्रावधानों के तहत स्वीकृत अधिकतम तीन वर्षों की अवधि के लिए एक सुधार गृह में रखा गया था.

गौरतलब है कि दिल्‍ली गैंगरेप केस में किशोर सहित कुल छह व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था. इसमें से एक को तिहाड़ जेल में मृत पाया गया था. अन्य चारों आरोपियों के खिलाफ एक निचली अदालत ने मृत्युदंड सुनाया था, जिसे उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा. मृत्युदंड के खिलाफ आरोपियों की याचिका सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है.

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