दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट को बताया कि फोरेंसिक लैब के पास ग्यारह हज़ार सैंपल पिछले तीन साल से पेंडिंग पड़े हैं. कोर्ट का कहना था कि अगर सैंपल इतने लम्बे समय तक रखा जाते हैं तो वो पहले ही खराब हो जाते हैं. ऐसे में सैंपल के नतीज़े ठीक कैसे आ सकते हैं.
दिल्ली पुलिस हत्या, अपहरण और बलात्कार जैसे मामलों में अपराध को कोर्ट मे साबित करने के लिए सैंपल इकट्ठा करती है. फिर उन्हें फोरेंसिक लैब में जांच के लिए भेजा जाता है. लेकिन वर्षों तक उनका नतीजा न आने से न सिर्फ कोर्ट मे केस लम्बा लटकता है बल्कि निर्दोष लोगों को भी वर्षों जेल में बिताने पड़ते हैं.
दिल्ली मे फ़िलहाल सिर्फ दो फोरेंसिक लैब है, एक रोहिणी में और एक कोर्ट के आदेश पर फिलहाल चाणक्यपुरी में शुरू की गई है. एक और नई लैब बनाने की बात हो रही है. लेकिन कब तक बनेगी, यह किसी को नहीं पता. लैब मे पेंडिंग सैंपल की संख्या हर रोज बढती जा रही है.
ये हाल तब है जब दिल्ली सरकार और केंद्र दोनों कोर्ट केस के जल्द निपटारे के लिए अपने आपको प्रतिबद्ध बताते हैं. हाईकोर्ट में यह याचिका 2012 में निर्भया गैंगरेप के बाद डाली गयी थी, जिसमें कहा गया था कि कोर्ट में न सिर्फ रेप केस के निपटारे में ज़्यादा वक़्त लगता है बल्कि रेप पीडिता को मिलने वाला मुआवजा भी समय पर नहीं मिल पाता.
कोर्ट ने अब तक इस याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों को कई आदेश किये हैं. जिसमे दिल्ली में पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाने, दिल्ली के 46 संवेदनशील पुलिस स्टेशन पर CCTV लगवाने, दिल्ली में CCTV लगवाने और फोरेंसिक लैब खुलवाने का फरमान भी शामिल है.
लेकिन कोर्ट के ज़्यादातर आदेशों पर सरकार ने कुछ खास नहीं किया. इसीलिए कोर्ट को यह तक कहना पड़ा कि क्यों न इस केस को बंद कर दिया जाए. क्योंकि जब सरकारें कुछ करना ही नहीं चाहती तो फिर कोर्ट के आदेश करने का क्या फ़ायदा. फिलहाल इस मामले की अगली सुनवाई 27 मई को होगी.