दस्तक टाइम्स एजेंसी/नई दिल्ली: देश के कोने-कोने से मरीज नई दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल पहुंचते हैं लेकिन यहां का नज़ारा देखकर मरीज ही नहीं उनके साथ आने वाले लोग भी बीमारी की चपेट में आ जाएंगे। इमरजेंसी में डाक्टरों की कमी मरीजों की तादाद पर भारी पड़ रही है। सबसे बुरा हाल इमरजेंसी वार्ड ए का है, जहां एक बेड पर दो-दो मरीज़ लेटे हुए देखे जा सकते हैं। पूरे वार्ड में मरीजों को देखने वाला कोई नहीं रहता।
गंदगी का आलम
अस्पताल के उक्त वार्ड में कई-कई घंटे मरीज स्ट्रेचर के साथ जमीन पर लेटने को मजबूर रहते हैं। गंदगी का बोलबाला है। शौचालय का दरवाज़ा महीनों से टूटा है। सुरक्षा के नाम पर गेट पर तैनात गार्ड मरीज़ों के साथ आने वालों से बदतमीजी से पेश आते हैं। वे हाथापाई तक करने से नहीं चूकते। अस्पताल के कर्मचारी कहते हैं कि अस्पताल में हकीकत जानने के लिए मंत्रालय के अधिकारी क्यों नहीं आते?
बेड 48, मरीज 80
अस्पताल के एच ब्लॉक की लिफ्ट खराब है। इसके बावजूद अस्पताल के कर्मचारी धड़ल्ले से मरीजों को उसमें ले जाते हैं। मरीज को जिस मंजिल पर ले जाना हो उस पर लिफ्ट का बटन दबाए रखना पड़ता है, तब लिफ्ट रुकती है, वरना वापस अपने स्थान पर आ जाती है। लिफ्ट का एक दरवाजा टूटा हुआ है जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। एच ब्लॉक के वार्ड नंबर 11 में बेड 48 हैं और भरती मरीज़ों की संख्या 80 है। यहां भी मरीज़ जमीन पर लेटने को मजबूर हैं। इन मरीजों को चादर और कम्बल तक नहीं दिया जाता है।
इमरजेंसी गेट के आसपास अवैध कब्जा
सफदरजंग अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के ठीक सामने मेन रोड पर खुलने वाले गेट के सामने और आसपास दुकानदारों ने अतिक्रमण कर रखा है। हैरत की बात यह है कि अस्पताल परिसर में पुलिस पोस्ट है लेकिन इस ओर न तो पुलिस न ही प्रशासन ध्यान दे रहा है। अगर कभी कोई हादसा होता है तो उक्त गेट से इमरजेंसी वाहन नहीं लाया जा सकता।
सेहत के साथ खुलेआम खिलवाड़
सफदरजंग अस्पताल के सामने प्रवेश गेट से लेकर इमरजेंसी गेट तक होटलों में खुले आसमान और पेड़ों के नीचे खाना परोसा जा रहा है। इसमे खाने में गिरने वाली गंदगी को होटल संचालक मामूली बात मानते हैं। एक दुकानदार का कहना है कि ‘यह सब चलता है। जब तक पुलिस ,नगर निगम और अस्पताल प्रशासन का साथ है ऐसा ही चलता रहेगा। हम लोग इसके लिए महीना क्यों देते हैं, ताकि वह हम लोंगों कों ऐसे मामलों से बचा सकें।’