दिल्ली में कोरोना का संकट जरूर कम हो गया है, लेकिन लॉकडाउन और दूसरी परेशानियों की वजह से व्यापार पर तगड़ा असर पड़ा है. इस कोरोना काल में होटल इंडस्ट्री पूरी तरह चौपट हो गई है. जो होटल पहले गेस्ट से गुलजार दिखते थे, वहां पर स्टॉफ भी सिर्फ 10 प्रतिशत काम करते दिख रहे हैं. कई होटलों को तो बंद भी करना पड़ गया है.
करोलबाग़ और पहाड़गंज में तो 30 प्रतिशत होटल बंद हो गए हैं, वहीं वहां पर काम कर रहे स्टाफ में भी भारी कमी आ गई है. बताया गया कि कई दूसरे लोग जिनका रोजगार होटलों की वजह से चलता था, अब वो सब भी ठप हो चुका है. इस लिस्ट में बर्तन धोने वाले, टैक्सी ड्राइवर और सप्लाई चेन से जुड़े कई लोग शामिल हैं. जब से होटलों का काम ठंडा पड़ा है, ये लोग भी बेरोजगार हो गए हैं और पाई-पाई के लिए मोहताज दिखाई पड़ रहे हैं.
दिल्ली होटल एंड रेस्टोरेंट ऑनर्स एसोसिएशन (DHROA) के वाइस प्रेसिडेंट महेंद्र गुप्ता ने कहा कि काम नही होने की वजह से कुछ होटल मालिकों ने होटलों को बेच दिया तो वहीं कुछ ने होटलों को कमर्शियल ऑफिस में तब्दील कर लिया. करोलबाग के होटल कारोबारी मुनीष चावला ने कहा कि ट्रैवल शुरू होने पर ही टूरिज्म बढ़ता है, ऐसे में मौजूदा हालात देखकर लगता है कि होटल कारोबार को खड़ा होने में करीब 6 महीने लगेंगे. सभी होटल मालिकों की ऐसी ही राय देखने को मिल रही है. कोरोना काल में सभी बेबस और लाचार नजर आ रहे हैं.
वैसे भी अर्पित होटल में हुए अग्निकांड के बाद से सरकार ने होटलों के लिए कई सख्त नियम लागू कर दिए हैं. फायर लाइसेंस में भी काफी बदलाव किए गए हैं. लेकिन कोरोना की वजह से कई होटल नियम मुताबिक अपने होटल में बदलाव नहीं कर पाए जिस वजह से अब उनके सामने लाइसेंस का खतरा भी मंडरा रहा है. इसका मतलब इस समय होटल इंडस्ट्री दोहरी मार से गुजर रही है. एक तरफ कोरोना ने धंधा चौपट किया है तो वहीं सरकार के सख्त नियम भी मुश्किल में डाल रहे हैं.