दिल की बीमारियों पर फल-शर्करा का प्रभाव नहीं
टोरंटो एजेंसी)। प्राय: मोटापे की महामारी के लिए फलों सब्जियों और शहद में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली फल-शर्करा (फ्रुक्टोज) को दोष दिया जाता है और दुनियाभर के चिकित्सकों ने इसकी अधिकता पर चेतावनी दी है। लेकिन एक शोध में दिल की बीमारियों में फ्रुक्टोज बेअसर पाया गया। एक नया अध्ययन दर्शाता है कि फल-शर्करा का दिल की बीमारियों के लिए उभरते पोस्ट-प्रेंडायल ट्रिग्लिसराइड्स नाम के खतरे पर कोई प्रभाव नहीं होता। सेंट माइकल्स अस्पताल के क्लीनिकल न्यूट्रीशन एंड रिस्क फैक्टर मोडिफिकेशन सेंटर के शोधकर्ता जॉन सीवेनपाइपर ने कहा ‘‘यह बहुत स्पष्ट है कि फल-शर्करा का प्रतिकूल प्रभाव तभी पड़ता है जब ज्यादा कैलोरी का योगदान होता है।’’ सीवेनपाइपर ने खाने के बाद ट्रिग्लिसराइड्स के स्तर और रक्त में वसा पर फल-शर्करा प्रभाव पर मौजूदा अध्ययनों का मेटा विश्लेषण किया। सीवपाइपर ने बताया ‘‘फल-शर्करा परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट से अलग कोई व्यवहार नहीं करती। जब फल-शर्करा को अधिक कैलोरी मिलती है तो यह बढ़ता है।’’ एथरोस्लेरोसिस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया कि दिल की बीमारियों के खतरे के निर्धारण के लिए रक्त ग्लूकोज स्तर के मानक परीक्षण के अलावा ट्रिग्लिसेरिड्स की जांच लोगों के लिए सामान्य हो रही है। फल-शर्करा साधारण शर्करा है जो ग्लूकोज के साथ मिलकर टेबल चीनी का आधार- इक्षुशर्करा (सुक्रोज) बनाती है। यह उच्च फलशर्करा वाले कॉर्न सिरप में भी पाई जाती है। शरीर ग्लूकोज और फल-शर्करा (फ्रुक्टोज) का उपापचय बहुत अलग तरीके से करता है।