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दीनदयाल उपाध्याय कुशल संगठक मौलिक विचारक व राजनीति विज्ञानी थे: नाईक

लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक ने राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों में पंडित दीनदयाल सम्पूर्ण वांग्मय वितरित किये जाने के निर्णय का स्वागत करते हुये कहा कि ‘मैंने पंडित दीनदयाल को देखा भी है, सुना भी है और समझा भी है, इसके लिये मैं स्वयं को भाग्यशाली समझता हूँ।’ डॉ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने उनके बारे में कहा था, ‘मुझे दो और दीनदयाल दे दो तो मैं पूरे देश का परिवर्तन कर दूंगा।’ राज्यपाल राजभवन में सूचना विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने कहा कि एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे जिन्होंने देश और समाज की सेवा करते हुये अपना सारा जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया। वे एक सक्रिय कार्यकर्ता, कुशल संगठक, मौलिक विचारक होने के साथ-साथ अद्वितीय समाजशास्त्री, राजनीति विज्ञानी एवं दार्शनिक थे। पंडित दीनदयाल ने देश की आर्थिक समस्याओं पर गहन चिन्तन एवं विचार किया है। उनमें निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता थी। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल का व्यवहार और दृढ़ विचार से आगे बढ़ना उनकी विशेषता थी। श्री नाईक ने कहा कि पंडित दीनदयाल ने बड़ी सहजता से अर्थशास्त्र, राजनीति,कृषि आदि पर अपने विचार रखे। उन्होंने एकात्म मानववाद पर विचार करते हुये अंत्योदय की वैचारिक भूमिका का निर्माण किया। अपने विचारों के प्रचार के साथ-साथ व्यवहार से उन्होंने लोगों को जोड़ा। पंडित दीनदयाल एवं राम मनोहर लोहिया ने मिलकर राजनीति कैसी हो, इस पर विचार किया। उनका मानना था कि मतभेद हो सकते हैं पर राष्ट्र के लिये एक होकर सोचना चाहिये। अपने बारे में बताने का स्वाभाव पंडित जी का नहीं था।
राज्यपाल ने जमींदारी उन्मूलन को लेकर राजस्थान विधान सभा के विधायकों को समझाने में पंडित दीनदयाल की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। पंडित दीनदयाल का मानना था कि यदि समाज की दृष्टि से कोई काम उचित है तो उसे करना चाहिये। उन्होंने कहा कि प्रभात प्रकाशन ने वांग्मय का प्रकाशन करके वास्तव में अमृत कुंभ तैयार किया है। वांग्मय के 13वें खण्ड की भूमिका राज्यपाल राम नाईक द्वारा लिखी गयी है। इस अवसर पर प्रमुख सचिव सूचना अवनीश अवस्थी, प्रमुख सचिव राज्यपाल जूथिका पाटणकर, निदेशक सूचना अनुज कुमार झा, प्रभात प्रकाशन के प्रमुख प्रभात कुमार सहित विश्वविद्यालय के कुलपतिगण व सूचना विभाग के अधिकारीगण उपस्थित थे। उत्तर प्रदेश सूचना विभाग द्वारा ‘पंडित दीनदयाल सम्पूर्ण वांग्मय’ की 7,000 प्रतियाँ क्रय की जायेंगी, जो प्रदेश के शैक्षणिक संस्थाओं को उनके पुस्तकालय के लिये भेजी जायेंगी।

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