ज्योतिष डेस्क : दीपावली नजदीक है, लोग मां लक्ष्मी की पूजा करने में जुट गये हैं। ऐसा ही एक मंदिर महालक्ष्मी का है, जहां का दर्शन करने से लक्ष्मी घर में आती हैं। महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित महालक्ष्मी का यह मंदिर 1800 साल पुराना है और मंदिर में स्थापित मां लक्ष्मी की प्रतिमा लगभग 7 हजार साल पुरानी है। महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में चालुक्य वंश के राजा कर्णदेव ने करवाया था। मंदिर में महालक्ष्मी की मूर्ति के अलावा नवग्रहों सहित, भगवान सूर्य, महिषासुर मर्दिनी, विट्टल रखमाई, शिवजी, विष्णु, तुलजा भवानी आदि अनेक देवी देवताओं की पूजा भी की जाती है। इन देवी देवताओं की प्रतिमाओं में से कुछ तो 11 वीं सदी की भी बताई जाती हैं। इसके अलावा मंदिर के आंगन में मणिकर्णिका कुंड पर विश्वेश्वर महादेव मंदिर भी स्थित है। मंदिर में स्थापित लक्ष्मी जी की प्रतिमा करीब 3 फीट ऊंची है। काले पत्थर से निर्मित प्रतिमा अत्यंत भव्य और प्रभावशाली है। जिसे देख लोग भाव-विभोर हो उठते हैं।
यहां महालक्ष्मी मंदिर पश्चिम दिशा की ओर मुख करे हुए स्थापित हैं। देवी के सामने की पश्चिमी दीवार पर एक छोटी सी खुली खिड़की है, जिससे होकर सूरज की किरणें देवी लक्ष्मी का पद अभिषेक करते मध्य भाग पर आती हैं और अंत में उनका मुखमंडल को रोशन करती हैं। यहां देवी महालक्ष्मीजी की चार हस्थों वाली प्रतिमा, सिर पर मुकुट पहने हुए स्थापित है। माता की प्रतिमा को बहुमूल्य गहनों से सजाया गया है। उनका मुकुट भी लगभग 40 किलो वजन का है जो बहुत ही कीमती रत्नों से मड़ा हुआ है। मंदिर की एक दीवार पर श्री यंत्र पत्थर पर उकेरा गया है। देवी की मूर्ति के पीछे पत्थर से बनी उनके वाहन शेर की प्रतिमा भी मौजूद है। वहीं देवी के मुकुट में भगवान विष्णु के प्रिय सर्प शेषनाग का चित्र बना हुआ है। देवी महालक्ष्मी ने अपने चारों हाथों में अमूल्य प्रतीक चिन्ह थामे हुए हैं, जैसे उनके निचले दाहिने हाथ में निम्बू फल, ऊपरी दायें हाथ में गदा कौमोदकी है जिसका सिरा नीचे जमीन पर टिका हुआ है।