दुनिया की सांस्कृतिक भूख मिटा सकता है भारत : मोदी
उन्होंने कहा कि Þभारत के पास वह सांस्कृतिक विरासत है जिसकी दुनिया को तलाश है। हम दुनिया की आवश्यकताओं को किसी न किसी रूप में पूरा कर सकते हैं। यह तभी होगा जब हमें अपनी महान विरासत पर गर्व हो। अगर हम खुद को कोसते रहेंगे। हर चीज की बुराई करते रहेंगे तो दुनिया हमारी ओर क्यों देखेगी।
भारत की सॉफ्टपावर की अहमियत बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां पर राजशक्ति और राजसत्ता की पहुंच नहीं होती है वहां अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सॉफ्टपावर महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। भारत के पास ऐसी समृद्धि थी कि यहां कला पूरी तरह विकसित हुई। यह धरती ऐसी है जहां हर पहर का संगीत अलग है। बाजार में संगीत को खोजने जाएंगे तो वहां दुनिया में तन को डुलाने वाला संगीत भरा पड़ा है लेकिन मन को डुलाने वाला संगीत केवल हिन्दुस्तान में है। यही संगीत की साधना है जो दुनिया को डुला सकती है।
विश्व सांस्कृतिक महोत्सव को कला का कुंभ बताते हुए मोदी ने कहा कि यह भारत की कला की समृद्धि की ताकत की दुनिया को अनमोल भेंट है। समारोह से पूर्व हुई बारिश का उल्लेख किए बिना उन्होंने कहा कि प्रकृति ने भी कटौती की लेकिन यही तो आर्ट आफ लिविंग है। जीवन को सुविधा और सरलता के साथ जी सकते हैं लेकिन उसमें आर्ट ऑफ लिविंग नहीं होता। जब आप अपने इरादों को लेकर चलते हैं, संकटों से जूझते हैं, सपनों को पूरा करने और औरों के लिए जीते हैं तो यही आर्ट ऑफ लिविंग है।
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में’अहम ब्रह्मास्मि’ से’वसुधैव कुटुम्बकम’तक की बात कही गई है। मोदी ने कहा कि हम वो लोग हैं जिन्होंने उपनिषद से उपग्रह तक की यात्राएं की है। यही जीवन जीने की कला हमारे साधुओं और मुनियों ने हमें विरासत में दी है। पारिवारिक संस्था हमारी धरोहर है और अगर इसमें कोई खरोच आती है तो उसे फिर से ठीकठाक करने की आवश्यकता है।
आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि हमें उन पर गर्व है। उनका संगठन 35 साल में 150 देशों में फैल चुका है और उसने भारत को दुनिया में एक अलग पहचान दिलाई है। अपनी मंगोलिया यात्रा का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि एक स्टेडियम में आर्ट ऑफ लिविंग के लोगों ने उनका रिसेप्शन रखा गया था। उसमें भारतीय तो बहुत कम थे पर पूरा स्टेडियम वहां के नागरिकों से भरा था और उनके हाथ में तिरंगा था जो एक बड़ी बात है।