दस्तक टाइम्स एजेंसी/अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) दुनिया भर के बड़े ब्रांडों में से एक है। विज्ञापन और पीआर विशेषज्ञ बर्बर हिंसा, घृणा और धर्मिक उन्माद के आधार पर की गई आईएस की ब्रांडिंग को अद्वितीय उदाहरण मानते हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत दोभाल की ओर से आईएस के प्रचार प्रसार पर विज्ञापन विशेषज्ञों (ऐड गुरु) के कराए गए अध्ययन की रिपोर्ट ने पूरी सुरक्षा तंत्र को चौंका कर रख दिया है।
पिछले कुछ महीनों में भारतीय युवाओं के आईएस के� जबरदस्त आकर्षण के खुलासे से चिंतित सरकार ने यह अध्ययन करवाया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएस के तरफ युवाओं का आकर्षण इत्तेफाक नहीं है। इनके पीछे सोची समझी और व्यवसायिक तरीके से की जा रही कैंपेनिंग है।
दुनिया भर में इनके ‘टारगेट कन्ज्यूमर’ वह लोग हैं जो धर्म और हिंसा को बड़ी ताकत मानते हैं। रिपोर्ट में मनोवैज्ञान की बारीकियों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि जनसंख्या का करीब 20 फीसदी ऐसे लोग होते हैं जो हिंसक प्रवृति की तरफ आकर्षित होते हैं। आईएस का काला झंडा, उसके वेवसाईट के रंग व डिजाईन, यू-ट्यूब और मीडिया में हिंसक कार्रवाई की रिकार्डिंग अपलोड करना एक सधी हुई योजना के तहत की जाती है।
रिपोर्ट के मुताबिक घृणा और हिंसा के इमेज से ज्यादातर लोग भले उससे दूर भागे लेकिन करीब 20 फीसदी लोगों की मनोस्थिति पर यह जबरदस्त असर करता है। इस रिपोर्ट के आधार पर आगे की योजना तैयार कर रहे सुरक्षा एजेंसियां मीडिया से आईएस को मिल रही पब्लिसिटी पर खासतौर पर चिंतित है।
रिपोर्ट के मुताबिक आईएस को दुनिया भर की मीडिया से प्रचार का जबरदस्त लाभ हुआ है। यह लाभ भी इत्तेफाक नहीं बल्कि उनकी सधी हुई कैंपेनिंग का हिस्सा है।
इस मामले से जुड़े अधिकारी ने बताया कि देश की एक बड़ी विज्ञापन और पीआर कंपनी के दिग्गजो ने करीब 15 दिन के अध्ययन के बाद यह रिपोर्ट दी है। एजेंसी सुरक्षा कारणों से उनके नाम उजागर होने से परहेज कर रही है। सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट के आधार पर भारत में आईएस के असर को खतम करने की योजना तैयार की जा रही है।