अन्तर्राष्ट्रीय

दुनिया परमाणु और जलवायु संकट की तबाही से मात्र 100 सेकेंड पीछे

वैज्ञानिकों ने परमाणु युद्ध और जलवायु संकट के खतरे का संकेत देने वाली कमायत की घड़ी यानी ‘डूम्सडे क्लॉक’ की सुई को आधी रात 12 बजे के 100 सेकेंड पीछे ला दिया है। डूम्सडे क्लॉक के मुताबिक आधी रात होने में जितना कम समय रहेगा, दुनिया परमाणु और जलवायु संकट के खतरे के उतने ही करीब होगी। यह घड़ी साल 1947 से लगातार काम कर रही है, जो इस बात की जानकारी देती है कि दुनिया पर परमाणु हमले की आशंका कितनी अधिक है। वैज्ञानिकों के अनुसार, 73 साल के इतिहास में सुई का कांटा सबसे अधिक तनावपूर्ण मुकाम पर बताया गया है।

अमेरिका और रूस के बीच जारी शीतयुद्ध के समय में भी इसका कांटा आधी रात से 120 सेकेंड दूर रखा गया था, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि इसका कांटा 120 सेकेंड के अंदर चला गया है। बता दें कि जिन परमाणु वैज्ञानिकों की टीम इस कांटे को आगे या पीछे करती है, उसमें 13 नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक भी शामिल हैं।

‘द बुलेटन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स’ (बीएएस) के वैज्ञानिक रॉबर्ट रोजनर ने गुरुवार को कहा कि साल 1949 में जब रूस ने पहला परमाणु बम आरडीएस-1 का परीक्षण किया और दुनिया में तेजी से परमाणु हथियारों की दौड़ शुरू हुई, तो उस वक्त आधी रात से 180 सेकेंड की दूरी ीत।

उन्होंने कहा कि चार साल बाद साल 1953 में यह घटकर 120 सेकेंड पर आ गया। यह दुनिया का वह दौर था, जब अमेरिका ने 1952 में पहले थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस का परीक्षण किया था और शीत युद्ध चरम पर था।

दूसरी ओर जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शेरोन स्क्वासोनी ने इसे खतरे की घंटी बताते हुए कहा कि परमाणु हथियारों के खतरे की स्थिति चरम पर है। ईरान परमाणु समझौते को राजी नहीं है, उत्तर कोरिया लगातार परमाणु क्षमता बढ़ा रहा है। अमेरिका, चीन और रूस लगातार परमाणु हथियार बना रहे हैं। भारत-पाकिस्तान का नाम लिए बगैर उन्होंने दक्षिण एशिया को ‘परमाणु टिंडरबॉक्स’ के रूप में परिभाषित किया, जहां मध्यस्थता की गुंजाइश बेहद कम है।

परमाणु हथियारों को खत्म करने के लिए काम करने वाली संस्था ‘ग्लोबल जीरो’ के कार्यकारी निदेशक डेरेक जॉनसन ने कहा कि धरती-समुद्र का बढ़ता तापमान और घड़ी में सिर्फ 100 सेकंड का अंतर रह जाना यह बताता है कि हम खतरे के मुहाने तक आ चुके हैं।

पहली बार घड़ी का कांटा 12 बजने से 420 सेकंड पहले सेट किया था
जब बीएएस ने पहली बार ‘डूम्सडे क्लॉक’ का कांटा रात के 12 बजने से 420 सेकेंड पर सेट किया गया था। यह घड़ी परमाणु विस्फोट (आधी रात) की कल्पना और शून्य की उलटी गिनती (काउंटडाउन) की इस्तेमाल करती है। बीएएस की विज्ञान और सुरक्षा समिति हर साल जलवायु परिवर्तन और परमाणु हथियारों के खतरे के मद्देनजर इसे अपडेट करती है। अब तक इसमें 19 बार बदलाव किया जा चुका है।

Related Articles

Back to top button