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दुर्दांत नक्सली को पुलिस ने हीरो बना दिया, युवा भटकेंगे : हाईकोर्ट में दलील

रांची.दुर्दांत नक्सली कमांडर रहे कुंदन पाहन के सरेंडर के तरीके पर स्वत: संज्ञान लेते हुए झारखंड हाईकोर्ट मंगलवार को सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस पीके मोहंती और जस्टिस आनंदा सेन की खंडपीठ ने सोमवार को एडवोकेट हेमंत सिकरवार की अर्जी को रजिस्टर कर यह आदेश दिया। इसमें दलील दी गई है कि 128 मामलों के आरोपी नक्सली को हीरो की तरह पेश करने से युवा दिग्भ्रमित होंगे और पीड़ित परिवारों का कानून के राज पर यकीन खत्म हो जाएगा।
दुर्दांत नक्सली को पुलिस ने हीरो बना दिया, युवा भटकेंगे : हाईकोर्ट में दलील
 
अर्जी के साथ दैनिक भास्कर की खबर को देते हुए एडवोकेट सिकरवार ने तीन आग्रह किए हैं। एक, हाईकोर्ट राज्य सरकार की सरेंडर पॉलिसी नई दिशा की समीक्षा कर इसकी वैधता जांचे। दो, कुंदन पर दर्ज सभी मामलों की सुनवाई बाकी केसों की तरह की जाए। तीन, नक्सली को दिए गए 15 लाख के चेक का भुगतान रोका जाए।

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अधिवक्ता को आपत्ति यह है कि जिस नक्सली पर पूर्व मंत्री रमेश मुंडा, डीएसपी प्रमोद कुमार समेत छह पुलिसकर्मियों को बारूदी सुरंग में उड़ा देने और इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार का गला काटने जैसे गंभीर आरोप हों, जो खुद को 2700 एकड़ जमीन को मालिक बताता हो, उसे सरकारी खजाने से 15 लाख रुपये क्यों दिए जाएं। इसे जननीति के खिलाफ बताया गया है।
 
अर्जी में कहा गया है, शहीदों के बजाय पुलिसवालों को मारने के आरोपियों को सम्मानित किया जा रहा है। पुलिस महीनों से कुंदन पाहन और उसके परिवार के संपर्क में थी तो उसे पकड़ा क्यों नहीं गया? क्या सरेंडर नीति के प्रोत्साहन और कुंदन को 15 लाख रुपये देने के लिए यह सब किया गया? वह जमानत मिलने पर चुनाव लड़ना चाहता है। ऐसे में पुलिस की उसे हीरो बनाने की कवायद आपत्तिजनक है। इससे युवाओं में यह भावना बढ़ेगी कि नौकरी में जाने के बजाय नक्सली ही बन जाएं ताकि उनका रिटायरमेंट के बाद जीवन आरामदायक हो जाए।
 
याचिका में सवाल
कुंदन और उसके परिवार वाले लगातार पुलिस के संपर्क में थे, उसेे सरेंडर के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे। उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया
 
समाज पर असर
नक्सली चुनाव में आए (जैसा की कुंदन ने कहा है) तो एक बार फिर ये लोगों को डरा-धमकाकर आसानी से चुनाव प्रभावित कर सकते हैं।
 
नीति की अनदेखी
संविधान के आर्टिकल 14 और 21 अनदेखी। सुनवाई में किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता। पर यहां इसकी अनदेखी हुई

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