दुर्लभ संयोग, इस बार गणेश चतुर्थी 11 दिन की होगी
ज्योतिष : भगवान गणेश इस बार अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाने आ रहे हैं। तिथियों के फेर के कारण गणेशोत्सव पर्व इस बार 10 की जगह 11 दिन का होगा। खास बात यह है कि नक्षत्र की गणना के कारण भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में हरितालिका तीज व्रत के पूजन से पहले बप्पा की स्थापना हो जाएगी। हालांकि ज्योतिष कैलेंडरों में तीज व्रत 2 सितंबर को है लेकिन गणेशोत्सव पर्व भी इसी दिन है। लेकिन 3 सितंबर को चतुर्थी और पंचमी तिथि एक ही दिन होने से लोग पसोपेश में हैं। ज्योतिष गणना के अनुसार चतुर्थी मध्यान्ह व्यापिनी होने से 2 सितंबर को पहले गणेश मूर्ति स्थापना होगी। तीज व्रत सायंकाल किया जाता है इसलिए महिलाएं शाम के समय चार पहर का पूजन शुरू करेंगी। 12 सितंबर चर्तुदशी को गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा। इस बार 14 वर्ष बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब हरतालिका तीज व्रत के पूजन के पहले गणेश जी की स्थापना होगी। क्योंकि चतुर्थी तिथि 2 सितंबर को सूर्योदय के बाद शुरू होगी और इसी दिन सायंकाल के बाद तीज व्रत का पूजन किया जाएगा। ज्योतिष गणना, निर्णय सिंधु और धर्मशास्त्रीय मान्यता के आधार पर इस बार ग्रह गोचर के तिथि अनुक्रम से तृतीया तिथि 1 सितंबर से सुबह 11:02 बजे से शुरू होगी जो 2 सितंबर को सुबह 8:42 तक रहेगी। इसके बाद चतुर्थी तिथि शुरू होगी।
1 सितंबर को हस्त नक्षत्र का प्रारंभ दोपहर 2:46 बजे होगा जो 2 सितंबर को दोपहर 1:15 बजे तक रहेगा। हरितालिका व्रत तृतीया तिथि एवं हस्त नक्षत्र युक्त मनाया जाता है। निर्णय सिंधु के अनुसार हरितालिका का व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाया जाता है, इस व्रत को चतुर्थी तिथि के सहित जो तृतीया तिथि होती है वह फल पद मानी जाती है वह स्त्रियों को सुख सौभाग्य पुत्र एवं पौत्र को बढ़ाने वाली होती है और द्वितीया युक्त तिथि का निषेध किया गया है। पंचागों में 2 सितंबर को हरतालिका तीज बताई गई है। इसी दिन गणेश स्थापना होगी। अतः 2 सितंबर को तीज मनाया जाना उचित है। ऐसा संयोग 14 वर्ष बाद बन रहा है जिसमें हहरितालिका पूजन के पहले भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाएगी। 11 दिन का गणेशोत्सव पर्व 2 सितम्बर से शुरू होगा।