दरअसल, अपहरण की बात पता चलने पर वहां कोई भी ऐसी लड़की का हाथ थामने को तैयार नहीं होता। ऐसे में लड़की की शादी तय होना मुश्किल हो जाता है। परिवार को बदनामी का डर सताने लगता है। थक हारकर माता-पिता को अपनी बच्ची का हाथ उसी इंसान को सौंपना पड़ता है जिसने कभी उसका अपहरण किया हो। किर्गिस्तान में अपहरण कर दुल्हन बनाने की यह कुरीति एक रिवाज बन चुकी है। केवल इतना ही नहीं विश्व के कई और देशों में भी ऐसी ही मिलती-जुलती प्रथाएं आपको देखने को मिल सकती हैं। एशिया और यूरोप के बीच में पड़ने वाले प्रांत काकेशस, हमॉन्ग, तजेल्ताल और रोमानी भी ऐसे इलाके है जहां इसी तरीके की घटनाएं सामने आती रही हैं।
कोलपोन मेतेवेवा की कहानी
कोलपोन मेतेवेवा का अपहरण शादी के लिए हुआ। कोलपोन का पति उनके साथ काफी मारपीट करने वाला निकला। एक दशक तक किसी तरह पति के साथ गुजर बसर करने के बाद कोलपोन ने अपने पति से तलाक मांगा। इस पर पति ने कोलपोन की हत्या कर दी। पत्नी की हत्या के मामले में अब पति 19 साल के कैद की सजा काट रहा है। कोलपोन का अपहरण 19 साल की उम्र में हुआ था, तब वे अपने पति के बारे में कुछ भी नहीं जानती थीं। वे अपहरण करने वाले शख्स से शादी नहीं करना चाहती थीं, लेकिन दूसरी तमाम लड़कियों की तरह ही और शर्म के चलते उसे अपनी पति के साथ रहना पड़ा।
क्या कहता है मौजूदा कानून
किर्गिस्तान में ये स्थिति तब है जब देश में इस पर अंकुश लगाने वाला एक कानून मौजूद है। मौजूदा कानून के मुताबिक अगर कोई शख्स किसी युवती की इच्छा के बिना शादी के लिए उसका अपहरण करता है तो उस पर जुर्माने के साथ-साथ अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान है।
‘कैंपेन 155’
2011 में इस परंपरा के खिलाफ में विभिन्न महिला संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने ‘कैंपेन 155’ नाम से अभियान चलाया। अगर शादी के लिए अपहरण पर अंकुश लगाने वाला कानून लागू हो जाता तो देश में नया कानून होता जिसकी आपराधिक धारा 155 होती, यही वजह थी कि इस अभियान को ‘कैंपेन 155’ कहा गया।
-2011 में किर्गिस्तान में दुल्हन बनाने के लिए किए गए अपहरण: 11,800 लड़कियां , 2,000 बलात्कार।
-ग्लोबल चैरिटी गर्ल्स नॉट ब्राइड्स के मुताबिक किर्गिस्तान में 10 लड़कियों में से हर एक लड़की की शादी 18 साल से पहले हुई है।
-हालांकि किर्गिस्तान ने 2013 में दुल्हन अपहरण के इस रिवाज पर प्रतिबंध लगा दिया और 2016 में बाल विवाह पर भी रोक लगा दी, इसके बावजूद किर्गिस्तान में काम कर रहे महिला सहायता केंद्रों का कहना है कि हर साल यहां लगभग 12,000 युवा महिलाओं और लड़कियों का शादी के लिए अपहरण किया जाता है।
कानून बनाने की बात पर संसद में भी छिड़ गई थी बहस
एक सांसद कोजोबेक रेसपेव ने कहा था कि अगर हमने इस मामले सजा देने की शुरुआत की तो किर्गिस्तान के सारे पुरुषों को हमें जेल में डालना होगा। किर्गिस्तान के गरीब परिवारों में युवती का अपहरण करना शादी का सबसे सस्ता और तेज विकल्प भी है। अगर नया कानून पारित होगा तो लड़कियों के अपहरण करने में सहायता देने वाले नाते रिश्तेदारों को भी जेल हो सकती है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि भले ही कितना भी सख्त कानून क्यों नहीं आ जाए, ये परंपरा कायम रहेगी।
नए कानून के लागू होने से केवल भ्रष्टाचार बढ़ेगा। क्योंकि मुश्किल से निकलने के लिए लोग रिश्वत देंगे। किर्गिस्तान के एक अन्य सांसद कुर्मेंतेव एबडिवेव ने बीबीसी से कहा था कि सख्त कानून बनाकर हम लोगों को अपराध करने से नहीं रोक सकते। हालांकि ज्यादातर लोगों का मानना है कि शादी के लिए युवतियों के अपहरण को परंपरा की जगह गंभीर अपराध मानने से इस पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।