दस्तक टाइम्स/एजेंसी-उत्तराखंड:
जहां एक ओर गरीबों और बच्चों के शोषण की घटनाएं दिल दहला देती हैं तो वहीं दूसरी और देवभूमि उत्तराखंड में इस ‘कलयुग’ में कुछ ऐसे फरिश्ते भी हैं जो अपना सबकुछ इनके लिए लगा देते हैं। पिछले पांच साल से गरीबों, अभावग्रस्त लोगों और समाज की मुख्य धारा से कटे बच्चों के लिए काम कर रहीं लक्ष्मी ठाकुर को देखकर तो यही लगता है।
मूल रूप से हिमाचल की रहने वाली लक्ष्मी ठाकुर ने सेवाकार्य के लिए उत्तराखंड को कर्मभूमि बनाया। वह ऋषिकेश में क्रिएटिव एंड वेलफेयर एसोसिएशन फॉर वूमेन संस्था के जरिये तीर्थनगरी में रहकर जरूरतमंदों की सहायता के साथ ही महिलाओं, बच्चों और युवतियों को सामाजिक परिवेश के प्रति जागरूक करने का कार्य कर रही हैं।
वह अब तक विभिन्न विद्यालयों में लगभग एक हजार बच्चों को पढ़ाई के प्रति प्रोत्साहन के लिए कक्षाओं का संचालन, मानदेय पर शिक्षकों की तैनाती, उनमें पढ़ाई के प्रति रुझान पैदा करने के लिए अन्य प्रकार की मदद भी दे चुकी हैं। इससे इतर गांवों से नगर तक करीब आठ सौ से अधिक महिलाओं को स्वावलंबन, कन्या भ्रूण हत्या के प्रति जागरूकता से जुड़ी महिलाओं, युवाओं को प्रोत्साहन के लिए सम्मानित भी कर चुकी हैं।
उन्होंने सरोकारों से जुड़ने की पहल स्वयं स्कूली बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देकर की। लक्ष्मी ठाकुर ने गांवों से लेकर शहर तक और मलिन बस्तियों से लेकर पॉश कॉलोनियों तक की महिलाओं के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक कुरीतियां आदि विषयों पर कार्यशालाएं आयोजित कर उन्हें विभिन्न विषयों के प्रति जागरूक किया। लक्ष्मी ने बताया कि गरीब, भिक्षु, बाबा लोग सड़कों के किनारे रात बिताते हैं। वह ऐसे ही बेसहारों के लिए ठिकाना बनाना चाहती हैं।