देवभूमि का एक मंदिर जिसकी छत पर नही टहरती बर्फ…विज्ञान या चमत्कार?
भारत में एक से बढकर एक अद्भुत मंदिर है जिनका आर्कटेक्चर देखकर किसी के भी होश उङ जाएं। इनमें से अधिकतर मंदिर 7 वीं सदी से 16 वी सदी के है। जिस वजह से वैज्ञानिक भी इन मंदिरों के डिजाइन देखकर हैरान रह जाते है कि इन मंदिरों को उस जमाने के कारीगरों ने बिना किसी तकनीक के कैसे तैयार कर लिया।
लेकिन जहां वैज्ञानिक इन्हे बेहतरीन सांइस और आर्कटेक्चर का नमूना समझते है वही दूसरी तरफ लोगों के लिए ये सच्ची आस्था का प्रतीक है। भारत के कई मंदिरों में अक्सर कुछ अजीबो गरीब घटानाएं होती है जिसे लोग भगवान का चमत्कार मानते है तो वैज्ञानिक साइंस का नमूना। जैसे भारत के कई मंदिरों में दिया तेल से नही पानी से चलता है।
या फिर मंदिरों सदियो से गर्म पानी का निकलना। इन सभी के पीछे जहां सच्ची आस्था है वही कोई न कोई वैज्ञानिक तर्क भी छिपा है। लेकिन भारत के कई मंदिर ऐसे भी है। जिनके आगे वैज्ञानिक तर्क भी फेल हो जाते है ।भारत के उत्तर भारत का हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड का पहाङी इलाका देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध है। इस पूरी जगह में देवताओं का वास है और देवी देवताओं के अद्भुत मंदिर है। जिनकी महिमा जान कोई भी दंग रह जाएगा। ओर ऐसा ही एक देवभूमि का मंदिर है देवो की भूमि हिमाचल में । जो शिकारी देवी के नाम से प्रसिद्ध है। ये मंदिर दिखने में भारत के अन्य मंदिरों की तरह आलीशान या भव्य नही है लेकिन इस मंदिर की आस्था और आर्कटेकचर की खूबी आपको जरुरी प्रभावित करेगी।
इस देवभूमि का मंदिर जिसकी खासियत यह है कि ये मंदिर देश के ऐसे राज्य में है जहां बहुत बर्फ पङती है। जिसे देखने हजारो सैलानी आते इसके बावजूद भी इस मंदिर के टोप पर आपको कभी बर्फ नही दिखाई देगी। क्योंकि इस मंदिर की पंडियो पर कभी बर्फ नही टहरती है । और आप चाहे तो खुद यहां सर्दियों के मौसम में आकर शिकारी देवी के मंदिर को देख सकते है। अभी हाल ही में हिमाचल में बर्फ पङना भी शुरु हो गई है लेकिन इस मंदिर की पिंडयों को आप साफ देख सकते है। अगर विज्ञान की नजर से देखा जाए तो इस मंदिर की पंडियो के टाॅप पर सूई जैसी धार नजर आएगी जिसे यहाँ बर्फ ठहराना ना मुनकिन है लेकिन अगर इस कारण यहां बर्फ नही ठहरती तो छत पर तो बर्फ ठहरनी चाहिए ।वहां भी बर्फ नही ठहरती। देवभूमि का मंदिर जिससे लोगों की अटूट आस्था जुङी है और इस मंदिर में बर्फ न ठहरने के अलावा भी कई राज है ये मंदिर 51 शक्तिपीठो में से एक है । इस मंदिर की ताकत यहां के मुख्ममंत्री तक मानते है।
मुख्ममंत्री वीरभद्र सिंह बेटे की कामना लेकर इसी मंदिर में आए थे। जिसके बाद उन्हें एक बेटा हुआ था। इसके अलावा पूर्व मुख्ममंत्री धूमल सिंह भी यहां आकर रोपवे बनाने का वादा कर चुके है क्योंकि ये मंदिर 11 हजार फीट कक ऊंचाई पर है जहां पहुंचने में काफी वक्त लगता है। खैर मंदिर चाहे कोई भी हो आस्था का होना जरूरी है। और लोगों की इस मंदिर में आस्था ही इस मंदिर की शक्ति को बढाती है।