अद्धयात्म
देव दीपावली 2018: जानें क्यों मनार्इ जाती है देव दीपावली

देव दिवाली का हमारे समाज में अत्यंत महत्व है। दीपावली के पंद्रह दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा को देवताओं की दिवाली मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है, इस दिन दीपावली मनाने सभी देवी-देवता गंगा के तट पर आते है। इस दिन गंगा के किनारे दिए से सजा दिया जाता है, इस अदभूत दृश्य को देखने दूर-दराज से लोग आते है। हालांकी अब कई राज्यों में भी देव-दीपावली मनाई जाने लगी है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा उत्साह बनारस में देखने को मिलता है। इस दिन मां गंगा की सजावट और पूजा-पाठ भव्य तरीके से किया जाता है। गंगा के घाट की चारों तरफ जगमगाती दिए की रौशनी सभी को अपने तरफ आकर्षित करती है।
मान्यता है इस दिन भगवान शंकर ने राक्षस का वध किया था, जिससे खुश होकर सभी देवी-देवताओं ने उस दिन को स्वर्गलोक में दीपक जलाकर अपने जीत के जश्न को मनाया था। उसके बाद से देव दिवाली मनाने की परंपरा चली आ रही है। कहा जाता है इस दिन पूजा-पाठ करने से मनचाहे फल की प्राप्ती होती है।

कार्तिक के पूरे महीने को पवित्र माना जाता है। इस महीने में तुलसी जी को रोज दीपक जलाना शुभ माना जाता है तो वहीं कुछ लोग इस महीने में ब्रम्हस्नान भी करते है। जिसे करने से उन्हें अच्छे फल की प्राप्ती होती है। इस महीने में गंगा स्नान का भी बहुत महत्व होता है।
माना जाता है कि देव दिवाली के दिन जो लोग अपना मूख पूरब दिशा की तरफ करके दिए दान करते है। उनकी आयु लंबी होती है तथा उनके घर में सुख शांति हमेशा बनी रहती है। इस सालदेव दिवाली में काशी के 84 घाट पर अयोध्या और मथुरा का भी दृश्य दिखाई देगा। कई घाटों पर रंगा-रंग कार्यक्रम की तैयारी चल रही है। तो वहीं कई घाटों पर लोग झांकी निकालने वाले है।
काशी के घाटों की सजावट जोर-शोर से चल रही है। वैसे तो हर साल काशी में देव दिवाली भव्य तरीके से मनाई जाती है। लेकिन इस बार प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के कारण दीपावली के खूबसूरती में चार चांद लगा हुआ है। बता दें मोदी जी इस दीपावली को भव्य बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते।
खबर है इस बार देव दिवाली मनाने के लिए पहली बार राज्य सरकार 50 हजार रूपये की मंजूरी दी है। वहां के लोगों का कहना है इस बार हमें देव दिवाली में तीन अलग-अलग जगहों का मनोरम दृश्य देखने को मिलेगा। अभी से फूलों की सजावट हो रही है। इस दिन को देखने के लिए सिर्फ काशी के लोगों का इंतजार नहीं होता, इसे देखने देश और विदेश से लोग आते है।