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देश के इन बड़े नेताओं पर नोटबंदी का कितना असर पड़ा, आज आप भी जान लीजिए

manoj-tiwari-sushmita-dev-prakash-javadekar-620x400नईदिल्ली: PM मोदी द्वारा DEMONETIZATION के 22 दिन बाद भी देश भर में बैंकों और ATM के बाहर लंबी लाइनें लगी हैं। आम जनता आज भी परेशान है।

ऐसे में एक समाचार पत्र ने तीन पार्टियों के चार संसादों से नोटबंदी और नुकसान-फायदे को लेकर बातचीत की। समाचार पत्र ने उनसे ये जानने की कोशिशि की कि वो इस समस्या से कैसे निपट रहे हैं। साथ ही जनता मोदी सरकार के इस फैसले से क्या प्रतिक्रिया दे रही है।
प्रकाश जावड़ेकर, शिक्षा मंत्री, भाजपा
परिवार और खर्च- मैं दिल्ली में रहता हूं और मेरा परिवार पुणे में। हर महीने में घर का खर्च चलाने के लिए एक लाख रुपए निकालता हूं। अब मेरे स्टाफ का खर्च सरकार देती है। जिन स्टाफ के पास बैंक खाते नहीं हैं मैंने उन्हें 500 रुपए का चेक दिया। मेरे कई स्टाफ के पास जन धन अकाउंट है और कुछ मोबाइल वैलेट ऐप का भी इस्तेमाल करते हैं। मेरी पत्नी और दो बच्चे डेबिट कार्ड और वैलेट ऐप का प्रयोग करते हैं।
बैंक-एटीएम का अनुभव- मैंने लाइन में लगकर पिछले दो हफ्ते में 24 हजार रुपए निकाले हैं।
फीडबैक- मैं मणिपुर, चित्रकूट, वाराणसी इत्यादि जगहों पर गया था। हर जगह लोगों ने इसका स्वागत किया। पुणे में मेरे घर के बाहर चाय बेचने वाले ने मुझसे कहा कि वो भ्रष्टाचार-मुक्त समाज बनाने के लिए उठाए गए इस कदम से खुश है और अब उसके बेटे को बगैर घूस दिए नौकरी मिल सकती है।
 
सुष्मिता देव, कांग्रेस
परिवार और खर्च- सच कहा जाए तो हमारे लिए नकद पैसे के बिना जीना आसान है क्योंकि हमारे पास क्रेटिड कार्ड हैं। लेकिन हम अपने घर में नोटबंदी का असर देख सकते हैं। मेरे घर में सफाई करने वाली महिला को हो रही दिक्कतों की वजह से मैं इस बात का ख्याल रखती हूं कि उसे भूखा ना रहना पड़ा।
एटीएम-बैंक का अनुभव- अगर मैं एनेक्सी में जाऊंगी तो बैंक मैनेजर मुझे अंदर बुलाकर पैसे दे देता है। लेकिन ये सुविधा आम आदमी के पास नहीं है।
फीडबैक- जिन लोगों के पास बैंक खाते और क्रेडिट कार्ड हैं वो मोदीजी के फैसले को अच्छा बता रहे हैं। लेकिन ये लोग पूरा भारत नहीं हैं। दिल्ली में मेरा मेहतर मेरे पास आकर रोने लगा…मैंने उसे 100 रुपए के पांच नोट दिए। मैंने अपने स्टाफ को दिवाली बोनस दिया था लेकिन वो उसे खर्च नहीं कर पा रहे हैं।
अली अनवर अंसारी, जद(यू)
परिवार और खर्च- नोटबंदी के बाद हमारे पास बिल्कुल पैसा नहीं था। हमारे घर में कोई क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल नहीं करता। मैंने अपने स्टाफ को पूरा वेतन नहीं दिया है। हम उन्हें थोड़ा पैसा ही दे पाए हैं। हमने घर के लिए राशन इत्यादि नोटबंदी के फैसले की घोषणा से पहले ही खरीद लिया था।
एटीएम-बैंक का अनुभव- संसद की बैंक शाखा में मुझे 45 मिनट कतार में खड़ा रहना पड़ा। मैंने बैंक में ढाई लाख रुपए जमा कराए लेकिन केवल 10 हजार निकाल सका। अगले दिन मैंने दोबारा 10 हजार रुपये निकाले।
फीडबैक- मेरे साले और भतीजे के घर में शादी है। वो फोन पर रो रहे थे कि नकदी की कमी से उन्हें काफी शर्मींदगी का सामना करना पड़ेगा। मैं उन्हें बैंक से निकाले अपने 20 हजार रुपए दिए। मेरे बेटे ने भी उन्हें 10 हजार रुपये दिए।
मनोज तिवारी, बीजेपी
परिवार और खर्च- मुझे ज्यादा दिक्कत नहीं हुई क्योंकि दिवाली के दौरान कार्यक्रमों में मुझे 100 के काफी नोट मिले थे लेकिन मेरे घरवाले थोड़े नाराज हैं क्योंकि उन्हें अपने खर्चों में कटौती करनी पड़ रही है। मैंने अपने ड्राइवर और दूसरे स्टाफ को करीब 20 हजार रुपए दिए हैं।
एटीएम-बैंक का अनुभव- मैं क्रेडिट कार्ड और नेट बैंकिंग का प्रयोग करता हूं। मेरी 72 साल की मां ढाई घंटे कतार में खड़ी रहीं लेकिन मैंने शिकायत नहीं की। वो इस कदम और लोगों की प्रतिक्रिया से खुश है।
फीडबैक- मेरे संसदीय क्षेत्र के लोग लंबी लाइन और बैंकों में नकदी की कमी की शिकायत कर रहे थे। लोग चाहते हैं कि सरकार बैंकों में ज्यादा कैश की उपलब्धतता सुनिश्चित कराए। कुछ अफवाहों को कारण लोगों में अफरातफरी मच गई थी फिर भी लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्हें उम्मीद है कि मोदीजी के इस कदम से भ्रष्टाचार में कमी आएगी।
 
 

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