देश के वैज्ञानिकों ने ढूंढे COVID-19 के 11 प्रकार, ए2ए वायरस ने फैलाई महामारी
नई दिल्ली: भारत में नए शोध के अनुसार दुनियाभर में फैले वायरस के कुल 11 प्रकार हैं लेकिन कोरोना का एक ही रूप महामारी बना। इस वायरस के कारण पुरे विश्व में दो लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यह शोध पश्चिम बंगाल स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स के वैज्ञानिकों ने किया है। 3600 वायरस पर शोध करने के बाद इस बात का पता लगा है कि वुहान से दुनियाभर में एक ही तरह के वायरस से संक्रमण फैला है। इसके बाद धीरे-धीरे 10 और रूप विकसित होते गए। इस वायरस के मूल रूप का नाम ए2ए रखा गया है।
मेडिकल रिसर्च के मुताबिक ए2ए कोरोना के बाकी 10 प्रकारों पर हावी हो गया और महामारी फैलाने के लिए सिर्फ यही जिम्मेदार हैं। शोधकर्ताओं ने 3600 वायरस पर शोध करने के बाद नतीजे जारी किए हैं। यह दिसंबर 2019 से 6 अप्रैल 2020 तक किये गए है।
इस वजह से खतरनाक है ए2ए वायरस
कोरोना वायरस जितनी तेजी से शरीर में पहुंचता है उतनी ही तेजी से शरीर के अंदर अपनी संख्या बढ़ाता है। जिससे मरीज की हालत बिगड़ जाती है। इस स्ट्रेन में अमीनो एसिड, एस्पार्टिक एसिड से ग्लाइसीन में बदल जाता है। कोरोना के दूसरे प्रकारों में केवल एस्पार्टिक एसिड मौजूद होता है और उसमें कोई बदलाव नहीं होता। इसी कारण ए2ए सबसे घातक है।
भारत में 45 % के अंदर ए2ए वायरस
कुछ देशों में ए2ए वायरस की पहुंच 80 % तक हो सकती है। जबकि भारत में यह 45 प्रतिशत मौजूद है। शोधकर्ता का कहना है कि पूरी दुनिया में कोविड-19 से बचाव के लिए टीके तैयार किए जा रहे हैं लेकिन ए2ए के खिलाफ सबसे बड़ी लड़ाई लड़नी होगी।
रिपोर्ट से पता चला है कि इंसान के फेफड़े अपनी सतह से एसीई2 प्रोटीन जारी करते हैं। कोरोना से निकलने वाले स्पाइक प्रोटीन पहले एसीई2 से चिपकते हैं फिर दूसरा प्रोटीन फेफड़े की कोशिकाओं में घुसने की कोशिश करता है। कोरोना का रूप जितना ताकतवर होगा यह इंसानों के प्रोटीन पर उतनी ही तेजी से जुड़कर फेफड़ों में पहुंचेगा।