देश के 72 फीसदी किसानों को नहीं पता है पीएम मोदी की इस फसल बीमा योजना की जानकारी
यह बात जलवायु जोखिम प्रबंधन कंपनी वेदर रिस्क मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (डब्ल्यूआरएमएस) ने कही। कंपनी ने कहा कि अधिकतर राज्यों में हालांकि योजना में दाखिल किसानों के बीच काफी अधिक संतोष का भाव देखा जा रहा है। इसका कारण है किसानों को सहयोग और बीमा कंपनियों की भागीदारी तथा भुगतान हासिल करने करने वाले बीमित किसानों के संदर्भ में योजना का सही कार्यान्वयन।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 2016 में लांच की गई थी। यह आज कृषि का जलवायु और अन्य जोखिमों के विरुद्ध बीमा करने का एक प्रमुख उपकरण है। यह पुरानी कृषि बीमा योजना का परिष्कृत रूप है। इसके तहत कर्जधारक किसानों को तो सब्सिडी दर पर बीमा मिलता ही है, गैर-कर्जधारक किसानों को भी यह सुविधा मिलती है।
डब्ल्यूआरएमएस ने कहा कि बीएएसआईएक्स द्वारा हाल में आठ राज्यों (उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, नगालैंड, बिहार और महाराष्ट्र) में किए गए सर्वेक्षण में यह पाया गया कि किसानों के तैयार किए गए नमूनों में से महज 28.7 फीसदी को ही पीएमएफबीवाई के बारे में जानकारी थी।
ये हैं कठिनाइयां
सर्वेक्षण से प्राप्त निष्कर्षों के मुताबिक किसानों की शिकायत यह है कि गैर-कर्जधारक किसानों के लिए दाखिले की प्रक्रिया कठिन है। उन्हें स्थानीय राजस्व विभाग से बुवाई प्रमाणपत्र और भूमि रिकार्ड हासिल करना होता है, जिसमें काफी समय जाया होता है।
बैंक की शाखाएं और ग्राहक सेवा केंद्र हमें दाखिले के लिए तैयार भी नहीं होते हैं, क्योंकि वे किसी अन्य काम में व्यस्त होते हैं। साथ ही किसानों को यह भी नहीं बताया जाता है कि उन्हें दावा क्यों मिला या नहीं मिला और दावे की गणना किस आधार पर की जाती है।