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देश, प्रतीक चिन्ह और प्रधानमंत्री मोदी के इन चार भाषणों की प्रमुख बातें जरुर पढ़ें

भारत में 72वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है। सात दशक पहले इसी दिन 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली थी। भारतीय इतिहास का यह सबसे महत्वपूर्ण दिवस है। भारत वास्तव में एक धर्मनिरपेक्ष और विविधता वाला देश है, जिसमें विभिन्न धर्मों, भाषाओं, जाति और पंथ के लोग एक साथ सद्भाव में रहते हैं। हम सब ने स्वतंत्रता सेनानियों की वीर गाथा सुनी है, जिन्होंने देश की आजादी कि लिए अपनी कुर्बानी दे दी।देश, प्रतीक चिन्ह और प्रधानमंत्री मोदी के इन चार भाषणों की प्रमुख बातें जरुर पढ़ें

लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश के प्रमुख प्रतीक चिन्ह क्या हैं और इन्हें क्यों चुना गया। हमारे देश के प्रमुख स्थल कौन से हैं और उन्हें क्यों यह दर्जा मिला हुआ है। साथ ही 15 अगस्त 2014, 15 अगस्त 2015, 15 अगस्त 2016 और 15 अगस्त 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लालकिले की प्राचीर से दिए गए भाषणों की मुख्य बातें आपको यहां पढ़ने को मिलेंगी।

इसलिए ‘वंदे मातरम्’ को नहीं मिला राष्ट्रगान का दर्जा, जानिए ‘राष्ट्रीय गीत’ और ‘राष्ट्रगान’ में अंतर

‘राष्ट्रगान’ और ‘राष्ट्रीय गीत’ किसी भी देश की वो धरोहर होती हैं, जिससे उस राष्ट्र की पहचान जुड़ी हुई होती है। प्रत्येक राष्ट्र के ‘राष्ट्रगान’ और ‘राष्ट्रीय गीत’ की भावनाएं भले ही अलग हों, लेकिन अंतत: इससे राष्ट्रभक्ति की भावना की ही अभिव्यक्ति होती है। स्वतंत्रता दिवस की 72वीं वर्षगांठ के मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं भारत के ‘राष्ट्रगान’ और ‘राष्ट्रीय गीत’ के बारे में, जिससे देश के अधिकतर लोग अभी भी अंजान हैं या दोनों में फर्क नहीं कर पाते हैं।
जानिए भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों के बारे में, बड़ा रोचक है उनका इतिहास और अर्थ

राष्ट्रीय प्रतीक अर्थात भारत की राष्ट्रीय पहचान का आधार। इसकी विशिष्ट पहचान और विरासत का कारण राष्ट्रीय पहचान है जो भारतीय नागरिकों के दिलों में देशभक्ति और गर्व की भावना को महसूस कराता है। यहां बहुत सारे राष्ट्रीय प्रतीक हैं जिनके अपने अलग अर्थ हैं जैसे राष्ट्रीय चिन्ह, राष्ट्रीय पशु, राष्ट्रीय फूल, राष्ट्रीय वृक्ष, राष्ट्रीय पक्षी, राष्ट्रीय फल। आप भी जानिए राष्ट्रीय प्रतीकों के बारे में, बड़ा रोचक है उनका इतिहास और उनका अर्थ।

भारत की विरासत : 10 ऐतिहासिक स्मारक जिन पर हम सबको है नाज

भारत का प्रतिष्ठित वास्तुशिल्प वैभव अपने स्वर्ण अतीत की एक उत्तम मिसाल है। इतिहास के सम्राटों ने उन शास्त्रीय अवशेषों के रूप में अपने शासन की छाप छोड़ दी जो उनके राजा के बारे में बहुत कुछ बोलते हैं। भारत का शुमार विश्व के उन देशों में है जो अपने अनूठे वास्तु के चलते हर साल देश-दुनिया के लाखों पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। आज यहां कई ऐसे स्मारक मौजूद हैं जिनको यदि आप ध्यान से देखें तो आपको भारत के गौरवशाली इतिहास का पता चल जाएगा। 

ये हैं भारत सरकार के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार

भारत में शौर्य, कर्म, कौशल और सेवा की अनंत गाथाएं भरी पड़ी हैं। बलिदान का भी कोई पैमाना नहीं है। हम उन लोगों से भी अपनी आंखें फेर नहीं सकते जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त कर हमारे देश का गौरव बढ़ाया है और हमें अंतरराष्ट्रीय पहचान और मान्यता दिलाई है।

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