देश में जल्द आ सकते हैं नए बैंक, 10 साल बाद सरकार देगी बैंक लाइसेंस, जानिए कौन कर सकता है आवेदन?

नई दिल्ली: भारत में करीब दस साल बाद नए बैंक के लाइसेंस मिलने की संभावना चर्चा में आ गई है। वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस विषय पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं कि किस प्रकार से बैंकिंग सेक्टर को मजबूत और व्यापक बनाया जाए ताकि देश के दीर्घकालिक आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सके। देश के विकास के लिए मजबूत बैंकिंग नेटवर्क जरूरी है जो नई योजनाओं और प्रोजेक्ट्स को फंडिंग प्रदान कर सके। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार और RBI नए बैंक खोलने की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की तैयारी में हैं।
क्या कहा ब्लूमबर्ग ने?
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि केंद्र सरकार और RBI मिलकर आने वाले दशकों में देश के विकास के लिए बैंकिंग सेक्टर को विस्तार देने की योजना बना रहे हैं। इस योजना के तहत:
बड़ी कंपनियों को बैंकिंग लाइसेंस देने के विकल्प पर विचार हो रहा है, लेकिन उनके शेयर होल्डिंग पर रोक लगाई जा सकती है।
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) को पूरी तरह से बैंक बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
विदेशी निवेशकों को बैंकिंग सेक्टर में निवेश के लिए अधिक सुविधा देने की संभावना है।
इन कदमों से बैंकिंग सिस्टम और मजबूत होगा और देश की आर्थिक योजनाएं तेजी से पूरी हो सकेंगी।
क्यों जरूरी है नए बैंक?
पिछले दस सालों में भारत में कोई नया बैंक लाइसेंस नहीं मिला है। आखिरी बार बैंकिंग लाइसेंस 2014 के आसपास दिए गए थे। 2016 में कुछ बड़े उद्योगपतियों और व्यापार घरानों ने भी बैंक लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, लेकिन तब इसे मंजूरी नहीं मिली। वर्तमान में, बढ़ती आर्थिक मांग और विकास योजनाओं को ध्यान में रखते हुए नए बैंक खोलना जरूरी हो गया है। नए बैंक ज्यादा से ज्यादा लोगों तक बैंकिंग सुविधा पहुंचा सकेंगे और निवेश को बढ़ावा देंगे।
बाजार पर क्या असर हुआ?
नई खबरों के आने के बाद शेयर बाजार में बैंकिंग सेक्टर के शेयरों में हलचल देखने को मिली। खासकर निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स ने शुरुआत में गिरावट देखी लेकिन दोपहर बाद तेजी भी आई। साल भर में इस इंडेक्स में लगभग 8% की बढ़ोतरी हुई है, जो संकेत देती है कि निवेशक नए बैंक खोलने की योजना को सकारात्मक रूप से देख रहे हैं।
कौन कर सकता है आवेदन? जानिए संभावित दावेदार
सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) देश में बैंकिंग सेक्टर के विस्तार के लिए नए बैंक लाइसेंस देने की तैयारी में हैं। इसके तहत कई संभावित दावेदारों को लाइसेंस के लिए आवेदन करने का मौका मिल सकता है। हालांकि अंतिम फैसला सरकार और RBI द्वारा तय गाइडलाइंस के आधार पर होगा, फिर भी चर्चा में शामिल प्रमुख वर्ग निम्नलिखित हैं:
बड़े कॉरपोरेट और औद्योगिक समूह:
सरकार विचार कर रही है कि क्या बड़े उद्योगपतियों को भी बैंक खोलने की इजाज़त दी जाए।
इनकी शेयर होल्डिंग पर कुछ सीमाएं लगाई जा सकती हैं।
पहले इस पर आपत्ति थी, लेकिन अब इसे सशर्त अनुमति देने की संभावना है।
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFCs):
भरोसेमंद और मजबूत NBFCs को बैंक में तब्दील करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
इन्हें RBI की सभी शर्तें पूरी करनी होंगी, तब जाकर उन्हें बैंकिंग सेवाओं की पूरी मंजूरी मिलेगी।
नए घरेलू आवेदक (व्यक्ति या कंपनियां):
जो लोग या कंपनियां बैंकिंग में नई हैं लेकिन उनके पास मजबूत पूंजी, अनुभव और साफ छवि है, वे भी आवेदन कर सकते हैं।
इन्हें “फिट एंड प्रॉपर” मानदंड, पारदर्शिता और नियामकीय शर्तों को पूरा करना होगा।
विदेशी निवेशक और विदेशी बैंक:
भारत सरकार अब विदेशी निवेश को आसान बनाने की दिशा में भी सोच रही है।
विदेशी बैंक और निवेशक जॉइंट वेंचर या साझेदारी मॉडल के जरिए बैंक खोलने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
नए बैंक लाइसेंस से क्या फायदे होंगे?
अधिक वित्तीय समावेशन: नए बैंक दूर-दराज के इलाकों तक बैंकिंग सेवाएं पहुंचाएंगे।
बढ़ेगी प्रतिस्पर्धा: इससे मौजूदा बैंक ज्यादा बेहतर सेवा देने के लिए प्रेरित होंगे।
निवेश और रोजगार में वृद्धि: नए बैंक नई योजनाओं को फंड करेंगे जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
विदेशी निवेश बढ़ेगा: विदेशी निवेशकों के लिए नियम आसान होने से विदेशी पूंजी बैंकिंग सेक्टर में आएगी।
NBFC का विस्तार: गैर बैंकिंग कंपनियां भी बैंक की तरह सेवाएं दे सकेंगी।