देश में धर्म सत्ता और राज सत्ता के “शुद्धिकरण” की बड़ी जरूरत : रामदेव
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इंदौर : डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बलात्कार के दो मामलों में 20 साल जेल की सजा सुनाये जाने के बाद संत समुदाय में जारी शुचिता की बहस को योग गुरु रामदेव ने आज आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि देश में “धर्म सत्ता” के साथ “राज सत्ता” को भी शुद्ध किये जाने की बहुत बड़ी जरूरत है। निजी कार्यक्रम में शामिल होने यहां पहुंचे रामदेव ने संवाददाताओं से कहा, “पिछले कुछ बरसों के दौरान देश में धर्म सथा और राज सथा पर जिस तरह से कलंक लगे हैं, इन्हें देखते हुए दोनों ही व्यवस्थाओं के शुद्धिकरण की बहुत बड़ी आवश्यकता है।” खासकर धर्म सथा के सभी लोगों को उस आचार संहिता का पालन करना चाहिये, जो हमारे ऋषि-मुनियों ने सदियों पहले ही तय कर दी थी” गुरमीत राम रहीम को यौन शोषण का मुजरिम करार देकर जेल भेजे जाने के बाद धार्मिक-आध्यात्मिक गुरुओं की जमात पर उठाये जा रहे तीखे सवालों के जिक्र पर योग गुरू ने संत समुदाय का बचाव किया।
उन्होंने कहा, “संतों के किसी खास समूह को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिये। देश में आज भी ऐसे लाखों संत हैं जो पूरी प्रामाणिकता, सच्चरित्रता और पवित्रता से जीवन जी रहे हैं और आम लोगों की सेवा की साधना कर रहे हैं।” उन्होंने डेरा प्रमुख की ओर सीधा इशारा करते हुए कहा, “अगर साधु या फकीर के भेष में रहने वाला कोई एक व्यक्ति गलती करता है, तो इस वजह से पूरी संत परम्परा को अपराधी मान लेना गलत है।” योग गुरू ने कहा, “राम मर्यादा पुरूषोत्तम हैं। वह भारतीय संस्कृति के सबसे बड़े आदर्श हैं। अगर राम के नाम पर कोई धब्बा लगाता है, तो यह केवल उस व्यक्ति विशेष का दूषित आचरण है और इसे किसी धर्म, संप्रदाय, परंपरा और संस्कृति से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिये।”