नई दिल्ली : राफेल डील के घमासान और पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों के बीच एक सर्वे किया गया। इन मुद्दों ने फिलहाल मोदी सरकार की छवि को धूमिल करने का काम किया है।
वहीं, विपक्ष के महागठबंधन की बात की जाए तो मायावती के हाल के बयानों से साफ जाहिर हो रहा है कि वह आने वाले समय पर पूरी तरह से किनारा काट सकती हैं और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश ने तो साफ कह ही दिया है कि वो किसी भी सूरत पर साइकिल पर हाथी को बैठा कर ही चलेंगे। हालांकि, महागठबंधन के टूटते सपनों को एकजुट करने के लिए जेडीएस प्रमुख एचडी देवेगौड़ा ने साफ कह दिया कि मायावती के बयान से महागठबंधन कमजोर नहीं होने वाला है। फिलहाल, आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है और लोकसभा चुनाव से पहले 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजों से जनता का मूड बदल भी सकता है, इसी को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक पार्टियां अपने प्रतिद्वंदियों को घेरने से कतई नहीं चूकती है। लेकिन, सबसे दिलचस्प बात यह है कि सी-वोटर्स का यह सर्वे अगस्त के आखिरी सप्ताह से लेकर सितंबर के आखिरी सप्ताह तक किया गया। इस सर्वे में देश की सभी 543 लोकसभा सीटों को कवर किया गया और 32 हजार 547 लोगों की राज जानी गई। जिसके बाद यह आंकड़े पेश किए गए है।