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देश से गायब 70 हजार लोग, हाईकोर्ट बोला यह स्थिति आतंकवाद जितनी बुरी

downloadएजेंसी/ देश के करीब 70 हजार लोगों को पता ही नहीं है कि वे आखिर है कहां जिंदा भी है या मर गए। उनके रिश्तेदार परिजन रोज उनके लौट आने का इंतजार कर रहे हैं।इसमें सबसे ज्यादा संख्या मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान के साथ ही उत्तर भारत के राज्य हैं इसमें गुजरात, दिल्ली के साथ पंजाब और हरियाणा भी शामिल हैं।लोगों के इस तरह गायब हो जाने पर चिंता जाहिर करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने यह स्थिति उतनी ही घृणात्मक है जितना कि आतंकवाद।

सामाजिक संस्थाओं के मुताबिक वास्तविक संख्या सरकारी आंकड़ों से कहीं ज्यादा है।राजस्थान हाईकोर्ट के बाद दिल्ली हाईकोर्ट भी लापता बच्चों को लेकर सख्त हो रहा है।इस संबंध में नाराजगी जाहिर कर रहा है लेकिन लापता बच्चों के साथ दूसरे लोगों की संख्या मे लगातार बढ़ोतरी हो रही है।एनसीआरबी के आंकड़ों की माने तो देश में करीब 70 हजार लोग लापता है इसमें बड़ी संख्या बच्चों की है शामिल है जो अपना घर छोड़कर जा चुके हैं।सरकारी साइट के मुताबिक की माने तो मानव तस्करी के 2015 में कुल 5466 मुकदमें दर्ज हुए यदि इसमें किडनेपिंग के आंकड़े शामिल किए जाएं तो यह संख्या अस्सी हजार को पार निकल जाती है।सबसे ज्यादा अपहरण और मानव तस्करी के मामले मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में दर्ज हुए हैं।अंग व्यापार और चाइल्ड लेबर राजस्थान हाईकोर्ट में करीब पांच साल पहले याचिका दाखिल करने वाले एडवोकेट अजयकुमार जैन के मुताबिक, पूरे देश में बच्चों के लापता होने की संख्या बढ़ रही है।अदालतें लगातार दिशा निर्देश दे रही है लेकिन देश के किसी भी राज्य में पुलिस लापता लोगों को लेकर कभी गंभीर नहीं होती है अदालत भी कह चुकी है।लापता लोगों का संबंध मानव अंग व्यापार में किया जा सकता है इसी के साथ बच्चों से चाइल्ड लेबर कराने के साथ भिक्षावृत्ति में किया जा रहा है लेकिन अभी तक इस गिरोह का खुलासा करने का प्रयास नहीं किया गया है।लड़कियों एवं महिलाएं को वैश्यावृत्ति में धकेल रहे हैंसामाजिक संस्थाओं के मुताबिक लड़कियों एवं महिलाओं के लापता होने के पीछे वैश्यावृत्ति कराने वाले गिरोह के लोग हो सकते हैं।इसी के साथ जबरन विवाह कराने वाले लोग भी इसमें शामिल है लेकिन पुलिस ने इस नजरिए से इन मामलों को देखने का प्रयास नहीं किया हैं।

 
 

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