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दोस्त ने ही रची थी बदमाश के मर्डर की साजिश, पीठ पर मारी थी गोलियां
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हिसार (हरियाणा).अर्बन एस्टेट में प्रदीप जमावड़ी के हत्याकांड में शामिल रहा उसका दोस्त आरोपी काला 24 घंटे के बाद भी पुलिस की पकड़ में नहीं आया। प्रदीप जमावड़ी एवं प्रदीप काला के बीच नौ साल पुरानी दोस्ती थी। दोनों एक दूसरे पर जान छिड़कते थे। प्रदीप अपने दोस्त काला पर आंखें बंद करके विश्वास करता था। दोस्त के दगा से था अनजान…
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– पुलिस ने रविवार को हॉस्पिटल में पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनोें को सौंप दिया। परिजनों ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया।– गोलीकांड में घायल हुई प्रदीप जमावड़ी की मां सावित्री एवं गांव के चंद्रजीत उर्फ चिंटू की हालत गंभीर हुई है।– पुलिस भी चिंटू के ठीक होने का इंतजार कर रही है, क्योंकि एक मात्र चश्मदीद है जिसने उन लोगों को देखा जिन्होंने प्रदीप जमावड़ी पर गोलियां चलाईं थीं।– शनिवार की रात वह अपनेे दोस्त काला के दगा से अंजान था। जिस दोस्त को वह छोड़ने के लिए जा रहा है। उसने ही उसकी मौत का तानाबाना बुन रखा था।– आमतौर पर प्रदीप जमावड़ी हथियार रखता था, लेकिन रात को बिना कोई असलाह के ही निकला था।पुलिस की थ्योरी में रंजिश के ये 3 बड़े कारण सामने आए…1. प्रदीप जमावड़ी के जेल जाने के बाद उसके संपर्क में दलजीत सिसाय ही उसके कारोबार में आगे रहा, यहां काला को नजरंदाज किया गया। पुलिस की थ्योरी में मानें तो काला इसी कारण से मन में रंजिश पाले हुए था।2. जेल से आने के बाद प्रदीप जमावड़ी एवं काला ने शराब के ठेके लिए थे। लेकिन वह काला से दूरी बनाए था। सहयोग के नाम पर प्रदीप से काला को बार-बार आश्वासन मिल रहा था।3. पुलिस सूत्रों ने बताया कि काला के अधिकांश मामले छूट गए थे लेकिन बडाला गांव के अपहरण के एक संगीन मामले में काला फंस रहा था। इसमें प्रदीप से सहयोग भी मांगा था, लेकिन प्रदीप ने मना कर दिया था।हमलावरों ने प्रदीप को पांच गोलियां मारीं
हमलावरों ने प्रदीप जमावड़ी को बिल्कुल नजदीक से गोली मारी। आरोपियों ने प्रदीप पर पांच फायर किए। इनमें से दो गोली प्रदीप के पेट में, दो सीने, एक सिर से होते हुई गले में लगी। सिर में लगी गोली से उसकी मौत हो गई।डॉक्टरों की जांच में यह बात भी सामने आई है कि आरोपियों ने प्रदीप पर पीठ पीछे से हमला किया हुआ है।19 साल की उम्र में जमावड़ी ने रखा अपराध जगत में कदम: 21 साल पहले अपराध की दुनिया में 40 साल के प्रदीप जमावड़ी ने 19 साल की उम्र अपराध जगत में कदम रखा था। अधिकांश समय जेल में गुजरा। जेल से उसने गैंग को अॉपरेट करता था। उसका लोग में खौफ इतना था कि उसके नाम से लोग घबराते थे।16 साल में जमावड़ी का अधिकांश समय जेल में गुजराप्रदीप जमावड़ी ने अपराध की दुनिया में 1996 में कदम रखा। शराबबंदी के दौरान शराब की तस्करी को लेकर उसके खिलाफ पहला मामला 26 अगस्त 1996 को आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज हुआ। इसके बाद उसका अधिकांश समय जेल में गुजरा। जेल से ही उसने अपनी अपराध की सल्तनत संभाली।जेल से आने के बाद घूमने गया था दोस्तों के साथ: जेल से बाहर आने के बाद प्रदीप जमावड़ी अपने 5-6 दोस्तों के साथ घूमने के लिए गया था। इस दौरान सेल्फी के कुछ फोटो फेसबुक पर डाले थे। इसमें गंगा में नहाते समय और वोटिंग के दौरान दोनों एक दूसरे के आगे पीछे दिखाई दे रहे हैं। हैरत की बात तो यह है कि जिस दोस्त पर उसकी हत्या का आरोप है, उसके साथ भी उसने सेल्फी ले रखी है।ये भी पढ़ें: शिव पूजा में अच्छा होता है शमी के पत्तो का प्रयोग
प्रदीप पर पिछले 16 साल में हत्या के 7 मामले दर्ज हुए
पिछले 16 साल में प्रदीप जमावड़ी पर हत्या के सात मामले दर्ज हुए। तीन मामलों में वह बरी और दो में डिस्चार्ज हो चुका था। एक मामले में उसे सजा हुई और एक अंडर ट्रायल है। जिस मामले में उसे सजा हुई, वह हांसी का 11 जनवरी 2004 का है। मामले में उसे 23 अगस्त 2008 को सजा हुई। अंडर ट्रायल हत्या का दूसरा मामला 17 मार्च 2010 का है और हांसी का ही है। हत्या के प्रयास के प्रदीप पर 13 मामले दर्ज हुए। 12 मामलों में वह बरी हो गया। 17 नवंबर 2003 के एक बवानीखेड़ा थाने के एक मामले में उसे पांच साल कैद की सजा हुई। लूटपाट और लूट की योजना बनाने के आरोप में प्रदीप पर 15 मामले दर्ज हुए। अधिकांश मामलों में वह बरी हो चुका है।2012 के बाद नहीं केसप्रदीप जमावड़ी पर आखिरी मामला 9 जनवरी 2012 को दर्ज किया गया। पहला मामला आबकारी अधिनियम के तहत दर्ज किया गया, जिसमें वह बरी हो गया। आखिरी मामला हत्या के प्रयास का रहा। पुलिस सूत्रों का कहना है कि 2012 के बाद प्रदीप ने अपने गुर्गों से काम लेना शुरू कर दिया। प्रदीप के जेल में रहते गुर्गे उसके इशारे पर काम करते थे। जिसके कारण प्रदीप का सीधा नाम नहीं आया।प्रदीप उर्फ काला पर हैं बीस से अधिक केस दर्जप्रदीप जमावड़ी के साथी रहे बडाला के प्रदीप उर्फ काला पर बीस से अधिक केस दर्ज हुए। शुरुआत 27 जून 2002 को डकैती के मामले से हुई। उस पर हत्या के दो मामले पहले से दर्ज हैं। हत्या की कोशिश में उसे दो मामलों में नामजद किया गया। आठ से अधिक मामले लूटपाट और लूटपाट की कोशिश के हैं। बाकी मामले अन्य वारदातों से जुड़े हैं।