लखनऊ। उत्तर प्रदेश में दो मंत्रियों की बर्खास्तगी के बाद सपा महासचिव रामगोपाल यादव के पास दो दर्जन मंत्री और विधायकों की शिकायतें लंबित हैं। बकौल रामगोपाल यदि आरोपियों में सुधार नहीं आया तो कभी भी उन पर भी गाज गिर सकती है। लेकिन इन मंत्रियों को हटाने का कारण सरकार अभी बता नहीं पाई है। कृषि मंत्री आनंद सिंह के बेटे कीर्तिवर्धन सिंह ने मुख्यमंत्री कार्यालय के लोगों पर गंभीर आरोप लगाते हुए यह जरुर कहा था कि उनसे मिलने के लिए उनके निजी सचिव पांच हजार रुपये लेते हैं। यह कहने के पहले कीर्तिवर्धन समाजवादी पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके थे लेकिन आनंद सिंह ने अभी न तो सरकार पर कोई हमला बोला था और न ही सपा प्रमुख पर कोई टिप्पणी की थी। बिजनौर के नगीना से विधायक मनोज पारस जिस दिन से अखिलेश यादव के मंत्रिमंडल में शामिल हुए थे उसी दिन से विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गई थी। उसने दुष्कर्म के आरोपी विधायक को सरकार से हटाने का अभियान छेड़ दिया था लेकिन लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इनकी बर्खास्तगी पर मुख्यमंत्री के पास कोई उत्तर नहीं था। जब उनसे पूछा गया कि मंत्रियों को क्यों हटाया गया तो उन्होंने कहा कि अभी प्रचार की बात करिए रैली की बात करिए सरकार की उपलब्धियों की बात कीजिए बाकी बातें बाद में होंगी। मंत्रियों की बर्खास्तगी पर विपक्ष सरकार को घेरना चाहता है। भाजपा प्रवक्ता चंद्रमोहन ने मुख्यमंत्री से सवाल किया है कि मंत्रियों को हटाने के पीछे क्या कारण हैं। इस संदर्भ में कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा कि सोमवार को उनके पिता आनंद सिंह की पहले से ही त्यागपत्र देने की योजना थी जिसकी सरकार को जानकारी मिल गई और उन्होंने बर्खास्तगी करके अपनी फजीहत बचा ली है। राज्यमंत्री मनोज पारस ने कहा कि जनता ने मुझे विधायक और सरकार ने मंत्री बनाया था अगर सरकार की मर्जी नहीं है तो मैं मंत्री नहीं रहूंगा मुझे कोई आपत्ति नहीं है। गौरतलब है कि मनोज पारस पर दुष्कर्म का आरोप न्यायालय में लंबित है सरकार को डर था कि यदि इस बीच अदालत से कोई निर्देश मिला तो मुश्किल हो सकती है इसलिए समय रहते पारस को बर्खास्त कर अखिलेश ने कुछ और संदेश देने का प्रयास किया।