द्वादशी तिथि में नहीं करना चाहिए ये काम, ऋषियों ने माना है वर्जित
अगर द्वादशी तिथि हो तो इस दिन विवाह आदि मांगलिक कार्य, उपनयन तथा अन्य चर व स्थिर कार्य सिद्ध होते हैं परंतु तेल लगाना व यात्रा नहीं करना चाहिए।
त्रयोदशी तिथि में जनेऊ को छोड़कर समस्त शुभ व मांगलिक कार्य, वास्तु गृहारम्भ, गृहप्रवेश, यात्रा, प्रतिष्ठा और वस्त्रालंकार आदि कार्य करने चाहिए।
द्वादशी तिथि में जन्मा जातक सदाचारी, अत्यन्त दुस्साहसी, वासनासक्त, चंचल, यात्राएं बहुत करने वाला, थोड़ा संकुचित, पर सुन्दर व ऐश्वर्यवान होता है।
इसी प्रकार विशाखा नक्षत्र में पदार्थ, संग्रह, कारीगरी, शिल्प, चित्रकारी, प्रहार व औषध सेवन आदि कार्य करने योग्य हैं। स्वाति नक्षत्र में जन्मा जातक व्यापार-व्यवसाय में निपुण, होशियार, चतुर, व्यवहार कुशल, आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न, ऐश्वर्य का भोक्ता, जितेन्द्रिय, परोपकारी, राज-समाज में सम्माननीय, दानी और अपनी बौद्धिक क्षमता के द्वारा मनचाहा लाभ यशोपार्जन करने वाला होता है। इनका भाग्योदय लगभग 30-36 वर्ष में होता है।
वारकृत्य कार्य
मंगलवार को सामान्यत: चुगली करना, जासूसी, भेद, प्रहार, कूट-कपट, षड्यंत्र, धोखा, चौर्य, तस्करी, असद् व्यापार-व्यवसाय, छद्म कार्य, झूठ बोलना, विवाद, झंझट, उग्र व साहसिक कार्य और संधि-विच्छेद आदि कार्य सिद्ध होते हैं।